केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने NEET-UG परीक्षा 2024 को रद्द ना करने और फिर से परीक्षा नहीं कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए इसे ‘सत्य की जीत’ बताया है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि विपक्षी दलों और उनके नेताओं को छात्रों से माफी मांगनी चाहिए. ” NEET मुद्दे पर विपक्ष अराजकता, नागरिकों में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहा है; ये उसकी रणनीति का हिस्सा है.

“सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद मैं कहना चाहूंगा, ‘सत्यमेव जयते.’ सत्य की जीत हुई है. NEET मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष की भूमिका स्पष्ट हो गई है. लोकसभा के विपक्ष के नेता ने कल तक जो रवैया अपना रहे थे, और देश की परीक्षा प्रणाली को अमान्य बता इसे “बकवास” कहा, उनकी मानसिक स्थिति का पता चल गया है.”  

प्रधान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की की टिप्पणियों के अनुसार NEET-UG की मेधा सूची में संशोधन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि NTA 2 दिनों के भीतर NEET-UG का संशोधित और अंतिम परिणाम घोषित करेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के उल्लंघन को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे, परीक्षा की पवित्रता हमारे लिए सर्वोच्च है.

सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 के असफल अभ्यर्थियों को बड़ा झटका देते हुए मंगलवार को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें विवादों से घिरी इस परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित कराने की मांग की गई थी. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि इसकी विश्वसनीयता के व्यवस्थित तरीके से प्रभावित होने और अन्य गड़बड़ियों को दर्शाने वाली कोई सामग्री रिकॉर्ड में नहीं है.

न्यायालय का यह अंतरिम फैसला है और बाद में विस्तृत फैसला सुनाया जाएगा. इस अंतरिम फैसले से केंद्र सरकार और NTA को बड़ी राहत मिली है, जो 5 मई को संपन्न परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक सहित बड़े पैमाने पर कथित गड़बड़ी को लेकर सड़कों से लेकर संसद तक कड़ी आलोचना एवं विरोध का सामना कर रही हैं.

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता एवं वरिष्ठ अधिवक्ताओं नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े और मैथ्यूज नेदुमपरा सहित विभिन्न वकीलों की दलीलें करीब 4 दिनों तक सुनीं.

फैसला सुरक्षित रखने के बजाय पीठ शाम करीब 4:50 बजे फिर बैठी और आदेश सुनाना शुरू किया. “इस तरह के मामले में अदालत के अंतिम निष्कर्ष वर्तमान चरण में दर्ज किए जाने चाहिए क्योंकि इस विवाद को निश्चितता और अंतिम रूप प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है, जो 20 लाख से अधिक छात्रों के करियर को प्रभावित करता है.”