लक्षिका साहू, रायपुर। छत्तीसगढ़ दिव्यांग संघ ने राज्य के प्रशासनिक सेवा में पदस्थ कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. संघ के अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों का अधिकार छीना जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS पूजा खेड़कर जैसे कई लोग छत्तीसगढ़ में मौजूद हैं जो फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए प्रशासनिक नौकरी का फायदा उठा रहे हैं.

आज राजधानी के प्रेस क्लब में छत्तीसगढ़ दिव्यांग संघ ने प्रेस वार्ता कर राज्य के 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखाधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, पशु चिकित्सा अधिकारी समेत 21 अधिकारियों पर फर्जी दिव्यांगता के सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरी करने का आरोप लगाया. संघ के अध्यक्ष ने बताया कि इसके सरगना लॉर्मी के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी गुलाब सिंह राजपूत, मुंगेली के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एम.के. राय और बिलासपुर संभाग में संयुक्त स्वास्थ्य संचालक डॉ. प्रमोद महाजन हैं. बोहित राम चंद्राकर ने बताया कि 50,000 से 1 लाख रुपये में फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया जा सकता है जिसके लिए प्रदेश में कई गैंग सक्रिय हैं. दो साल पहले भी फर्जी सर्टिफिकेट की शिकायत की गई थी जिसके बाद तीन लोगों का सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

दिव्यांग संघ ने दी ये चेतावनी

छत्तीसगढ़ दिव्यांग संघ ने प्रशासनिक सेवा में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट वाले अधिकारियों पर कार्रवाई समेत अन्य मांगे भी रखी हैं. संघ चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वह व्यापक स्तर पर आंदोलन करेंगे.

दिव्यांग संघ की मांगें

  1. 15 दिनों के अंदर बताए गए 21 लोगों का मेडिकल बोर्ड के समक्ष दिव्यांगता का परीक्षण.
  2. फर्जी दिव्यांग साबित हो चुके सत्येन्द्र सिंह चंदेल, व्याख्याता जिला जांजगीर और अक्षय सिंह राजपूत, व्याख्याता जिला मुंगेली की तत्काल बर्ख़ास्तगी.
  3. बर्खास्त हो चुकी महासमुंद की सहायक संचालक कृषि रिचा दुबे पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज हो.
  4. वास्तविक दिव्यांग शासकीय अधिकारी-कर्मचारी को केंद्र के समान 4 प्रतिशत पदोन्नति में आरक्षण दिया जाए, जिसकी गणना 1 जनवरी 2016 से की जाए.
  5. अन्य राज्यों के तर्ज पर पेंशन बढ़ाकर 5000 रुपये प्रतिमाह की जाए और पेंशन के लिए बीपीएल की बाध्यता खत्म हो.
  6. दिव्यांग बहनों को महतारी वंदना योजना का लाभ मिले.
  7. राज्य शासन फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनने से रोकने के लिए कड़ा परिपत्र जारी करे, जिसमें संलिप्त लोगों को 7 साल की सजा और 50 लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान हो.
  8. सभी भर्ती परीक्षाओं में दिव्यांग सीट पर चयनित अभ्यर्थी के दिव्यांगता का भौतिक परीक्षण बोर्ड से कराने के बाद ही ज्वाइनिंग दी जाए और भविष्य में शिकायत होने पर संभाग और राज्य मेडिकल बोर्ड से दोबारा दिव्यांगता का भौतिक परीक्षण कराने का प्रावधान रखा जाए.

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