सावन के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। इसी बीच भोलेनाथ के भक्त उनके दर्शन करने के लिए कई किलोमीटर तक की यात्रा तय कर रहे हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के कोठीभार थाना क्षेत्र के गांव कैमा निवासी 21 साल के अहमद रजा भोलेनाथ पर अटूट आस्था और अपने होसलों के दम पर पैदल चलकर भगवान केदारनाथ धाम की यात्रा 21 दिनों में पूरी की।

वादियों में स्थित भोले बाबा का धाम

केदारनाथ धाम की यात्रा हर इंसान का सपना होता है। ऊंची वादियों में स्थित भोले बाबा के इस धाम की यात्रा करना किसी के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, यहां तक पहुंचना सबके लिए आसान नहीं है, क्योंकि रास्ता बेहद जटिल और पहाड़ों की खतरनाक चढ़ाई से भरा हुआ है। हेलिकॉप्टर की सुविधा भी है, लेकिन महंगे किराए के कारण अधिकांश लोग पैदल या पिठ्ठू के माध्यम से यात्रा करना पसंद करते हैं। वहीं बारिश के मौसम में यहां जाना, खतरों से खेलने से कम नहीं है। गौरीकुंड से मंदिर तक का 20-25 किलोमीटर का पैदल सफर आसान नहीं है।

न धर्म होता है और न जाती

यहां का रास्ता सीधा नहीं है। इसके साथ ही मौसम भी अनिश्चित रहता है। बारिश के दौरान यह रास्ता संकरा और फिसलन भरा हो जाता है। लेकिन वो कहते हैं न जिनके दिल में भोले बाबा के प्रति गहरी आस्था होती है, उसका न धर्म होता है और न जाती।

पढ़िए 21 साल के अहमद की कहानी

इसी बीच उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के कोठीभार थाना क्षेत्र के गांव कैमा निवासी 21 साल के अहमद रजा की कहानी भी ऐसी ही हिम्मत और भक्ति की मिसाल है। अहमद एक मुस्लिम युवक है, लेकिन उनके मन में भोले बाबा के प्रति गहरी श्रद्धा है। उन्होंने संकल्प लिया कि वह अपने घर से पैदल बाबा केदारनाथ धाम पहुंचेंगे। यह सोचने में तो असंभव सा लगता है, लेकिन अहमद ने अपनी सच्ची भक्ति, बाबा के प्रति प्यार और हिम्मत से हर मुश्किल को पार करते हुए इस सफर को न केवल तय किया बल्कि उसे पूरा भी कर लिया।

21 दिनों में पूरा किया सफर

बतादें कि, अहमद ने 21 दिनों में पैदल चलकर केदारनाथ धाम की यात्रा पूरी की। 22 जुलाई को उन्होंने केदारनाथ में बाबा के दर्शन किए और फिर वापस अपने घर लौट आए। वहीं अहमद ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी शेयर किया है। जिसमें उन्होंने अपना अनुभव बताया। जानकारी के लिए बतादें कि, अहमद रजा निचलौल शहर स्थित एक महाविद्यालय में बीए की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका छोटा भाई अरशद रजा भी पढ़ाई करते हैं। पिता तनवीर आलम एक मदरसे में शिक्षक हैं और मां नजमा खातून घर का काम काज संभालती हैं।

मौसम की मार भी झेली

अहमद ने कहा कि, मैं धन्य हूं जो मुझे बाबा के दर्शन हो गए। उन्होंने बताया कि, मौसम खराब होने के कारण कई लोगों को वापस लौटना पड़ा। भारी बर्फबारी और ठंड में तीर्थयात्रियों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। ऐसे में वो दर्शन के लिए परेशान हो रहे थे। उन्होंने कहा कि, उन्हें बर्फ में चलना खतरे से खाली नहीं लगा। फिर बारिश भी शुरू हो गई। रास्ते में नीचे कई फिट गहरी खाईं।

ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति भक्तों को आगे बढने से रोक रही है। उन्हें कह रही है कि अब आगे और नहीं जाना है। लेकिन मेरे हौसले से कदम नहीं थमे। उन्होंने कहा इस सफर में मुझे बहुत अच्छे और बहुत बुरे लोग भी मिले। किसी ने हौसला बढ़ाया, तो किसी ने हिंदू-मुस्लिम की बात कहकर मनोबल भी गिराया।

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