रायपुर। छत्तीसगढ़ में करीब 200 उद्योगों में तालाबंदी के निर्णय ने एक बड़े संकट की ओर इशारा कर दिया है. संकट का समाधान नहीं होने समस्या और बड़ी हो सकती है. इस संकट के पीछे कोई भ्रम है या कुछ और लेकिन फिलहाल तो स्पंज आयरन एसोसिएशन के निर्णय से उद्योग बंद हो गए हैं और सियासत शुरू.

दरअसल इस सियासत के पीछे की वजह बिजली दर है. जिससे नौबत उद्योगों में तालाबंदी तक आ गई. छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी का कहना है कि बिजली दर में बढ़ोतरी उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. इसके चलते उद्योगों की उत्पादन लागत काफी ज्यादा बढ़ गई है और हर उद्योग को 25 लाख से लेकर 2.5 करोड़ तक का ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. नचरानी ने कहा कि फैक्ट्रियां बंद होने से स्वभाविक रूप से इसका प्रभाव प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. इससे बेरोजगारी पर भी बढ़ेगा. सीएसपीडीसीएल का 60 प्रतिशत लोड हमारे उद्योगों द्वारा ही आता है. उन्होंने बताया कि बिजली की महंगी दर से निजात दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल) को पत्र भी लिखा गया है और उसे बिजली की महंगी दर के कारण होने वाली परेशानी से अवगत भी कराया गया है. उनका यह भी कहना है कि बीते 15 दिनों से उद्योगों को यह परेशानी झेलनी पड़ रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात

उद्योगों में तालाबंदी के बाद आज स्पंज आयरन एसोसिएशन ने पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपकर समर्थन मांगा. एसोसिएशन पूर्व सीएम उद्योग बंद होने राज्य को होने वाले राजस्व से नुकसान और रोजगार संकट से अवगत कराया.

गलतफहमी हो गई होगी, समाधान होगा – विष्णुदेव साय

वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है उद्योगपतियों को गलतफहमी हो गई है. बिजली दर में 25 प्रतिशत की वृद्धि नहीं हुई है, 25 पैसे प्रति यूनिट से दर बढ़ाया गया है. विधुत कंपनी ने भी इसे स्पष्ट किया है. जो भी समस्या है उसका समाधान कर लिया जाएगा. बातचीत चल रही है.

भ्रम फैला रहे महंगी बिजली का- पीएन सिंह

वहीं इस विषय को लेकर बिजली नियामक आयोग के पूर्व सचिव और छत्तीसगढ़ रिटायर पॉवर इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पीएन सिंह ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने स्टील उद्योगों पर महंगी बिजली का भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि 25 फीसदी बिजली महंगी होने की बात स्टील उद्योग कर रहे हैं, जबकि बिजली चार फीसदी महंगी हुई है. लोड फैक्टर में अब भी उद्योगों को 10 फीसदी की छूट है. इसी के साथ पहले ऑफ पीक आवर में 6 घंटे ही बिजली की दर 80 फीसदी लगती थी, उसमें भी दो घंटे का इजाफा किया गया है. जुलाई में जो जून का बिल आया है, उसमें मई का एफपीपीएएस 9.2 फीसदी लगा है. यह जून में कम हो जाएगा, संभव है कि एक फीसदी भी न लगे. अगर प्रदेश सरकार उद्योगों को 50 पैसे प्रति यूनिट की सब्सिडी देगी तो इससे सरकार को 600 करोड़ का भार पड़ेगा. एक रुपए की सब्सिडी पर 12 सौ करोड़ का भार पड़ेगा. राज्य में बिजली आर्पित की दर 6.92 रुपए इससे कम दर पर बिजली देने का एक्ट में ही प्रावधान नहीं है.

छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ- भूपेश बघेल

वहीं इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साय सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में कभी इतनी बड़ी संख्या में उद्योगों में तालाबंदी नहीं हुई है. कांग्रेस सरकार में कोरोना जैसे विश्वव्यापी आपदा में भी छत्तीसगढ़ में उद्योग बंद नहीं हुए. मुझे समझ नहीं आ रहा है छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन राज्य है. सरप्लस राज्य है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में स्टील उद्योगों को 7 रुपये 62 पैसे के दर से बिजली बेची जा रही है. जबकि पड़ोसी राज्य में उड़ीसा और झारखंड में 5 रुपये तक दर है. यही नहीं जिंदल और अडानी जैसी कंपनियां भी 5 रुपये तक बिजली बेच रहे हैं, फिर सरकारी रेट ज्यादा क्यों ? मुझसे आज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुलाकात की है. मुझे लगता है कि सरकार को तत्काल इस पर निर्णय लेना चाहिए. क्योंकि उद्योग बंद होने राजस्व का भी नुकसान है और लाखों लोगों के रोजगार का भी सवाल है.