प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में पिछले कुछ महीनों में आईवीजी (INTERNAL VIGILANCE CELL) की धमक नजर नहीं आ रही है. सूत्रों का कहना है कि जोन के अधिकारियों ने आईवीजी के पर काट लिए है. यही कारण है कि अब आरपीएफ आईवीजी पहले की तरह कोई भी कार्रवाई करती अब नजर नहीं आ रही है.

आरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि जोन में आईवीजी (INTERNAL VIGILANCE CELL) की पिछली कार्रवाई पर नजर डाली जाए तो यदि टीम बिलासपुर स्टेशन पर नजर आ जाती थी तो पूरे जोन में ये सूचना हर स्टॉफ तक पहुंच जाती थी कि आईवीजी की टीम जोन से बाहर निकल गई है और इसके बाद सब अलर्ट मोड में आ जाते थे.

लेकिन पिछले कुछ महीनों से ये धमक कही गुम सी हो गई है. पूरे जोन में अवैध वेंडरों की बात हो, या ट्रेन से कोयला चोरी की. कही भी आईवीजी का कोई जिक्र नहीं हो रहा है. कुछ सूत्रों का तो ये भी कहना है कि आईवीजी के पर काटने के पीछे कोई बड़ी वजह हो सकती है, जो आरपीएफ के उच्च अधिकारियों के लिए जांच का विषय है.  

आरपीएफ में क्या काम है आईवीजी का ?

अब आपको बताते है कि आरपीएफ में आईवीजी का मुख्य काम क्या है और आरपीएफ के जिम्मेदारों ने INTERNAL VIGILANCE CELL का गठन पूरे जोन में क्यों किया है. किसी भी जोन में आईवीजी का मुख्य काम आरपीएफ स्टॉफ की कार्यप्रणाली पर नजर रखना है और समय-समय पर तमाम आरपीएफ पोस्ट में जाकर चेकिंग करना है कि स्टॉफ बल की छवि को खराब करने के लिए किसी भी लेनदेन में शामिल तो नहीं है. पोस्ट में आरपीएफ के नियमों के मुताबिक ड्यूटी लग रही है या नहीं समेत अन्य जांच आईवीजी की टीम करती है. ये टीम सीधे आईजी को रिपोर्ट करती है. यही कारण है कि जोन में आईवीजी का एक अपना ही अलग रूतबा और खौफ होता है. कयोंकि इनकी रिपोर्ट आईजी के अलावा सीधे रेल मंत्रालय तक जाती है और इनकी कांफिडेंशल रिपोर्ट के आधार पर सीधी कार्रवाई भी होती है.

अचानक शिकायतें आनी हुई बंद या आईवीजी को नहीं दी जा रही जांच ?

अब सवाल ये है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में ऐसा कौन सा जादू हो गया कि पूरे जोन में आरपीफ अधिकारी-कर्मचारियों की शिकायतें जोन स्तर पर होनी बंद हो गई है. या यू कहे कि शिकायतें तो पहुंच रही है लेकिन इन शिकायतों से आईवीजी को दूर रखा जा रहा है.

आरपीएफ के सूत्र कहते है कि दूसरे जोन में आईवीजी कार्रवाई के लिए जाने के लिए मूमेंट की जानकारी देनी होती है, लेकिन वो कहा जा रही है इसकी जानकारी वे आकर या पहुंचकर दे सकती है. लेकिन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में आईवीजी को अपनी मूमेंट के साथ दो दिन पहले वे कहा जा रहे है इसकी भी जानकारी देनी पड़ती है और अनुमति लेनी पड़ती है. अब ये आरपीएफ के लिए जांच का विषय है कि आईवीजी कार्ऱवाई के लिए मूमेंट की जानकारी दे रही है या नहीं ? और यदि वे जानकारी दे रही है तो उन्हें जांच के लिए अनुमति कौन नहीं दे रहा है ?

SIB की पोस्टिंग में देरी क्यों ?

आरपीएफ में जितना अहम पद आईवीजी का है उतना ही अहम पद SIB का भी है. इसे Special Intelligence Branch कहा जाता है. आरपीएफ में ये टीम पूरी तरह गोपनीय तरीके से बिना वर्दी के काम करती है. इस टीम का काम भी स्टॉफ पर नजर रखना है और ये टीम भी सीधे जोन में आईजी को रिपोर्ट करती है. लेकिन रायपुर रेल मंडल में एसआईबी इंस्पेक्टर की पोस्टिंग में देरी की वजह खुद आरपीएफ के लोग नहीं समझ पा रहे है.

 सूत्रों का दावा है कि यहां एसआईबी को पहले से कमजोर करने की तैयारी है और पहले जहां इस पोस्ट में इंस्पेक्टर पदस्थ हुआ करते थे वहां अब एसआई को पदस्थ किया गया है और जिन्हें पदस्थ किया गया है वो वर्तमान में ट्रेनिंग पर है. लेकिन सवाल ये है कि एक एसआई रैंक के अधिकारी कैसे इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली पर नजर रखेंगे ?  सूत्रों का कहना है कि आरपीएफ के उच्च अधिकारियों को कंट्रोल में ( जहां ट्वीटर के माध्यम से शिकायत आती-जाती है) वहां इंस्पेक्टर की जरूरत है. लेकिन एसआईबी में नहीं. बता दें कि रायपुर रेल मंडल में भी कंट्रोल में इंस्पेक्टर पदस्थ है. लेकिन एसआईबी में इंस्पेक्टर पदस्थ नहीं है और पूर्व एसआईबी इंस्पेक्टर वर्तमान में चार्ज पर है.