सुधीर दंडोतिया, भोपाल। पीसीसीएफ व वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने पुलिस के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है। जिसमे उन्होंने जिक्र किया कि पुलिस की कार्रवाई से वन कर्मचारी का मनोबल गिरा है। वे डरे हुए हैं, रेत माफिया को कैसे रोकेंगे ? 13 जून 2021 को मुरैना जिले के नगरा थाना क्षेत्र में अवैध रेत का ट्रैक्टर ट्राली छुड़ाने आई वन विभाग की छापामार टीम पर हमले का भी उन्होंने इस पत्र में जिक्र किया है। 

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पत्र में उन्होंने लिखा कि माफिया के हमले के दौरान क्रॉस फायरिंग में एक युवक की मौत हुई थी। मामले में 8 वन कर्मियों को चार से पांच महीने जेल में रहना पड़ा था। जबकि हमलावरों पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। घटना के 3 साल बाद भी न्यायिक जांच की रिपोर्ट वन विभाग को नहीं सौंपी गई है। वहीं पुलिस ने बिना अभियोजन की स्वीकृति 7 फॉरेस्ट गार्ड के खिलाफ चार्ज शीट दायर कर दी। 

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पत्र में पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव ने लिखा कि मुरैना जिले में अवैध रेत खनन एक संगठित आपराधिक गतिविधि है। पुलिस मुख्यालय से समन्वय स्थापित करने वैधानिक कार्रवाई करने के लिए शासन स्तर पर समन्वय किए का भी उन्होंने पत्र में जिक्र किया है। 

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पत्र में वन विभाग के मुखिया ने लिखा है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी के कर्तव्य निर्वहन के दौरान कोई घटना होती है, तो उसके खिलाफ केस दर्ज करने के लिए पुलिस को सीआरपीसी की धारा 197 के तहत चार्जशीट दायर करने से पहले संबंधित विभाग या शासन से अभियोजन स्वीकृति लेना अनिवार्य है। लेकिन पुलिस ने बिना अभियोजन स्वीकृति के ही वन विभाग के 7 फॉरेस्ट गार्ड और एक सुरक्षा श्रमिक के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी। 

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