प्रमोद निर्मलकर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र मानपुर में बने पुल में हुए भ्रष्टाचार की पोल पहली ही बारिश में खुल गई. महज साल भर पहले गट्टेगहन गांव और संबलपुर के बीच नदी में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत इस पुल का निर्माण हुआ था. जो गुरुवार को पहली ही बारिश में टूट गई. नक्सलियों के विरोध के बीच सुरक्षाबलों ने जान की बाजी लगाकर इस पुल का निर्माण पूरा करवाया था. लेकिन निर्माण कार्य में किये गए भ्रष्टाचार के कारण आज ना केवल सरकार के पैसे बर्बाद हुए बल्कि जवानों की मेहनत भी बेकार चली गई.
बता दें, यह पुल मानपुर ब्लॉक मुख्यालय से पहाड़ के ऊपर बसे बुकमरका गांव को जोड़ने वाले कोराचा-बुकमरका सड़क पर बना था. इस पुल के टूटने से मानपुर ब्लॉक के अंतर्गत महाराष्ट्र सीमावर्ती धुर नक्सल प्रभावित तीन गांवों संबलपुर, बुकमरका और सुढ़ियाल से सड़क संपर्क टूट गया है. इसके चलते पुल के उस पार महाराष्ट्र सीमा पर मौजूद छत्तीसगढ़ पुलिस कैंप से भी आवागमन प्रभावित हो गई है.
PMGSY के तहत ठेकेदारों ने भ्रष्टाचार करने के लिए गुणवत्ता विहीन सड़क और पुल का निर्माण कराया, जिसके चलते पुल का एक बड़ा हिस्सा टूट कर नीचे धंस चुका है. वहीं बाकी हिस्सों पर भी बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं, जिससे पूरा पुल किसी भी समय बह जाने का डर बना हुआ है. इसके चलते बाईक सवार स्थानीय लोग अपनी जान जोखिम में डालकर टूटे पुल से गुजरने को मजबूर हैं. वहीं चार पहिया वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है. सड़क और पुल निर्माण के कुछ दिनों बाद से ही ग्रामीणों ने PMGSY के अधिकारियों से कई बार गुणवत्ता विहीन निर्माण की शिकायत की, लेकिन प्रशासन ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की.
इसके अलावा लगभग 2 हफ्ते पहले नेशनल हाइवे में भी तीन अलग-अलग जगहों पर बने पुल बह गए हैं. इसके चलते महाराष्ट्र को जोड़ने वाली नेशनल हाइवे में भी करीब दो हफ्ते से आवागमन बंद है.
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