पंकज सिंह भदौरिया,दन्तेवाड़ा. नक्सलियों का अभी तक आपने विकराल, हिंसक और कायराना रूप देखा है, लेकिन अब नक्सली आदिवासी बच्चों के लिए चलाए जा रहे योजनाओं को लेकर भी सामने आ रहे हैं. बच्चों के लिए मिलावटी दूध का विरोध, बच्चों से मारपीट का विरोध और योजनाओं के नाम पर शोषण का आरोप लगाते हुए 2010 से 2018 तक का हिसाब मांगा है. इन सब का जिक्र नक्सलियों के दरभा डिविजन कमेटी ने स्कूल के सामने, पेड़ और दीवारों में बैनर पर्चे लगाकर बयां किया है.

दरअसल नक्सलियों ने कुआकोंडा थानाक्षेत्र के अंतर्गत ब्लाक मुख्यालय में स्थित गुरुकुल आवासीय पोटाकेबिन क्रमांक 1 के सामने दर्जनों पोस्टर और लाल बैनर लगाकर स्कूल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए हैं. पोटाकेबिन स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों से मारपीट बन्द करने का आरोप लगाया है. क्षीरसागर से घटिया सप्लाई और मिलावटी दूध बच्चों को पिलाना बन्द करने की बात कहीं हैं. साथ ही 8 वर्षो का हिसाब मांगा है. नक्सलियों द्वारा सरकारी योजनाओं की गुणवक्ता पर सवाल खड़ा करना, दाल में कुछ काला जैसा लग रहा है.

इसकी सूचना कुआकोंडा पुलिस को लगते ही मौके पर पहुंचकर स्कूल में लगाए गए बैनर पोस्टर जब्त कर लिया है. वहीं पुलिस इसे नक्सली बैनर-पोस्टर मानने से इंकार कर रही हैं. जिस अंदाज में बैनर पोस्टर पर लिखा गया है, यह दर्शाता है कि यह किसी शरारती तत्व का भी काम हो सकता है.

बता दें कि कुआकोंडा पोटाकेबिन क्रमांक 1 में 450 बच्चे पढ़ रहे है. जिनके पीने के लिए प्रतिदिन 45 से 50 लीटर दूध आता है और यह दूध जिले भर के पोटाकेबिनो में सप्लाई होता है. इसी दूध पर पर्चे फेंककर नक्सलियों ने इसे बन्द करने की चेतावानी दी है. पिछले वर्ष भी कुआकोंडा थानाक्षेत्र के मोखपाल के पास नक्सलियों ने क्षीरसागर की एक दुग्ध वाहन जला दी थी. जिसके बाद अब इस तरह का पर्चे दिखाई दे रहे हैं. इस घटना के बाद से पोटाकेबिन के बच्चों में दहशत का माहौल बना हुआ है.