वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। हाईकोर्ट ने स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर संज्ञान लिया है। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शासन व स्कूल शिक्षा सचिव से शपथ पत्र पर स्कूल भवनों को ठीक करने के बारे में प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने कहा है। हाईकोर्ट ने मामले में कलेक्टर को ही जिम्मेदारी दिए जाने के जवाब पर तीखी टिप्पणी की और कहा कलेक्टर कहां-कहां देखे! शिक्षा सचिव को भी तो कुछ करना चाहिए, सचिव क्या कर रहे हैं?
दरअसल, प्रदेश भर के शासकीय स्कूलों में से कई जगहों पर भवन जर्जर हो चुके हैं। बारिश में इन स्कूलो की हालत और भी खराब हो जाती है। इसे लेकर खबरों के सामने आने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।
बता दें, कि मुख्यमंत्री शाला जतन योजना में 1837 करोड़ सत्र 2022-23 में शासकीय स्कूलों के लिए जारी किया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब यह जानकारी दी तो चीफ जस्टिस ने कहा कि इस राशि का इस्तेमाल कहां किया गया, वास्तव में स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है।
इस पर शासन ने कहा कि कलेक्टर अपने डीएमएफ फंड से भी राशि उपलब्ध करा सकते हैं तो डीबी ने कहा कि कलेक्टर कहां-कहां जाएगा। इस विभाग के जो प्रमुख हैं, शिक्षा सचिव उन्हें मानिटरिंग करना चाहिए कि फंड कहां जा रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि शासन की ओर से शपथपत्र में दी गई जानकारी के अनुसार 31 मार्च 2024 के पहले सरकार ने जर्जर और सुरक्षित स्कूलों की गिनती कराई थी। इसमें 2 हजार 219 स्कूलों को डिस्मेंटल करना था, 9 हजार स्कूलों को रिपेयर करना था। इन स्कूलों के लिए फंड स्कूल जतन योजना और डीएमएफ फंड से ही यह इंतजाम करना है।
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