सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सात जजों की संवैधानिक पीठ ने गुरुवार को एससी और एसटी के लोगों के बीच समान प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को एससी-एसटी के आरक्षण को कोटा के भीतर कोटा बनाने की मंजूरी दे दी है. जिस पर बसपा सुप्रीमो मायावती की पहली प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा किया उचित है.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने एक्स पर लिखा, ”सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक़ उत्पीड़न कुछ भी नहीं. क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है. अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?”

उन्होंने कहा, ”देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं. वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती.”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (SC/ST) को मिलने वाले आरक्षण को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए एससी-एसटी में कोटे के अंदर कोटे को मंजूरी दे दी है. चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से ये फैसला सुनाया जिस पर सियासत शुरू हो गयी है.

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