लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों खूब उठापटक मची हुई है. अब मौका हो और विपक्ष फायदा ना उठाए ये भला कैसे हो सकता है. पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन और अब सत्ता-संगठन के बीच गहरा रही खाई को लेकर विपक्ष लगातार सरकार की टांग खिंचाई कर रहा है. एक बार फिर सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई में चल रही अंदरूनी खींचतान को लेकर चुटकी ली है. उन्होंने नाम ना लेते हुए इशारों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा है.

सपा सांसद अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि “दिल्ली का गुस्सा लखनऊ में क्यों उतार रहे हैं?” “सवाल ये है कि इनकी प्रतिष्ठा को ठेस किसने पहुंचाई? कह रहे हैं सामने वालों से पर बता रहे हैं पीछेवालों को”

अपने पोस्ट में अखिलेश ने योगी के साथ-साथ दोनों डिप्टी सीएम को लपेट लिया. उन्होंने लिखा कि ‘कह रहे हैं सामने वालों से पर बता रहे हैं पीछेवालों को’. अखिलेश के इस लाइन को नजूल जमीन विधेयक से जोड़कर भी देखा जा सकता है. क्योंकि इस विधेयक का विरोध विपक्ष तो कर रही रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता भी इस विधेयक का विरोध करने में गुरेज नहीं कर रहे हैं. लिहाजा ये विधेयक पास नहीं हो सका.

‘प्रतिष्ठा प्राप्त करनी होती तो मठ में मिल जाती’

दरअसल, अखिलेश का ये निशाना विधानसभा में सीएम की ओर से दिए गए उस बयान पर है जिसमें उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा का जिक्र किया. पूरा वाकया ऐसा था कि गुरुवार को विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू हुई. सत्र के चौथे दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष के लोगों ने सरकार को कई मुद्दों पर घेरा. वहीं कानून व्यवस्था की गूंज भी सुनाई दी. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के विधायकों ने कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल उठाए. प्रदेश की कानून व्यवस्था पर योगी सरकार को जमकर घेरा. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करारा जवाब दिया है. विधानसभा में सीएम योगी ने कहा कि ‘मुझे प्रतिष्ठा प्राप्त करनी होती तो मुझे अपने मठ में मिल जाती है, मैं यहां नौकरी करने नहीं आया हूं.’

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आपसी खींचतान पर निशाना

बता दें कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा का जो प्रदर्शन रहा उसने हर किसी को चौंकाया. तो वहीं केंद्रीय नेतृत्व इस परिणाम से नाखुश रहा. माना जाता है कि जिस सीट पर बीजेपी हारी उन सीटों पर सीएम योगी केंद्रीय नेतृत्व की ओर से घोषित प्रत्याशियों से सहमत नहीं थे. परिणाम सबने देखा. शायद यही वजह है कि भाजपा में चल रही इस कलह पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाया है.