Rajasthan News: नगरीय विकास राज्यमंत्री झाबर सिंह खर्रा ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में आश्वस्त किया कि नगर विकास प्रन्यास उदयपुर द्वारा वर्ष 2004 में नगर निगम उदयपुर को हस्तांतरित 30 योजनाओं व 16 कच्ची बस्तियों से जुड़े भूखण्डों के आवंटन में हुई अनियमितताओं के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच में संदिग्ध पाए जाने वाले भूखंडों को सरकार अपने कब्जे में लेने की कार्यवाही करेगी।
मंत्री शून्यकाल के दौरान उदयपुर विधायक ताराचंद जैन के द्वारा ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से उठाये सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसओजी अजमेर द्वारा इस मामले में अनुसंधान किया जा रहा है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एसओजी से अपेक्षा करेंगे कि इसी वर्ष इसका निष्पक्ष अनुसंधान कर दोषियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया जाए।
नगरीय विकास मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा इस प्रकरण में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ आगामी 10 कार्य दिवसों में नियमानुसार कार्रवाई के लिए आरोप पत्र कार्मिक विभाग को भेजा जाएगा। कार्मिक विभाग परीक्षण कर 15 कार्य दिवस में संबंधित अधिकारी को आरोप पत्र देकर स्पष्टीकरण प्राप्त करेगा। इसके बाद मुख्य सचिव यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाकर यथोचित निर्णय कराएंगे।
उन्होंने बताया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सक्षम न्यायालय में कार्यवाही होगी तथा संदिग्ध भूखंडों को सरकार कब्जे में लेने की कार्यवाही करेगी। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर लगभग 100 करोड़ रूपये का घोटाला होने की आशंका है।
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि नगर निगम उदयपुर द्वारा उक्त योजनाओं के भूखंडों में कुल 2501 नामांतरण एवं पट्टे जारी किए गए तथा कच्ची बस्ती में कुल 7 नामांकन एवं 935 पट्टे जारी किए गए। नगर निगम द्वारा उक्त भूखंडों में कुल 34 भूखंडों की नीलामी की गई जिससे 11 करोड़ 19 लाख 27 हजार 812 रुपए की आय प्राप्त हुई।
नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि उक्त भूखंडों के संबंध में महापौर के निर्देशानुसार वर्ष 2021 में जांच समिति गठित की गई। जिसमें तीन अधिकारी व 3 जनप्रतिनिधियों को सम्मिलित किया गया। जांच प्रतिवेदन में ना तो 316 पत्रावलियों के संबंध में कोई उल्लेख था और ना ही नगर निगम द्वारा संदिग्ध 40 भूखंडों की जांच करने का कोई उल्लेख था ।
मंत्री ने बताया कि अग्रिम जांच में चार कार्मिकों, एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी व 3 वरिष्ठ सहायकों को दोषी पाए जाने पर उनके विरुद्ध नियमानुसार आरोप पत्र जारी किए गए हैं। इस घोटाले के संबंध में संबंधित पुलिस थानों में प्रकरण दर्ज हुए।
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