चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रोहतक पर एक छात्रा का परीक्षा परिणाम अवैध रूप से चार साल तक रोके रखने के लिए 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया गया कि छात्रा 2018-2020 बैच की स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की छात्रा थी. उसने संस्थान के एक छात्र और एक अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी. हालांकि, आंतरिक शिकायत समिति ने शिकायत को झूठा पाया और संस्थान ने छात्रा को छठे सेमेस्टर को दोहराने और माफी मांगने का आदेश दिया. संस्थान ने छात्रा का परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया.
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद पाया कि आदेश कानून के अधिकार के बिना पारित किया गया था, जिससे छात्रा का करियर खतरे में पड़ गया. हाईकोर्ट ने छात्रा का परीक्षा परिणाम और डिग्री जल्द जारी करने का आदेश दिया.
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ये है पूरा मामला
याचिकाकर्ता आईआईएम रोहतक की 2018-2020 बैच की छात्रा थी, जो पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम कर रही थी. कोर्स दो साल का था जिसमें छह तिमाही शामिल थीं. छठी तिमाही के दौरान, छात्रा ने निदेशक से एक अन्य छात्र और कुछ अधिकारियों द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी. मामला आंतरिक शिकायत समिति और पुलिस को जांच के लिए भेजा गया.
पुलिस और समिति दोनों ने शिकायत को झूठा पाया. इसके बाद, संस्थान ने छात्रा को छठी तिमाही दोहराने और माफी मांगने का आदेश दिया. सजा के आदेश के बाद, छात्रा का छठी तिमाही का परिणाम घोषित नहीं किया गया.
चार साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी छात्रा अपनी आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाई और न ही किसी नौकरी के लिए आवेदन कर पाई. हाईकोर्ट ने पाया कि संस्थान द्वारा आरोपित पत्र अवैध और गलत था, जिससे छात्रा का करियर बर्बाद हो गया.
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