नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्य प्रदेश में सरकार के विकास कार्याें के दावे की अब पोल खुलती नजर आ रही है। बालाघाट जिले में ग्रामीण और स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को नाव के सहारे पार करने के लिए मजबूर हैं। यह मामला जिला मुख्यालय से 10 किलाेमीटर दूर परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र का है।

दरअसल ग्राम लिंगा, परसवाड़ा से ग्राम बोरी के बीच बहने वाली घिसर्री नदी पर सालों से ग्रामीण एक पुलिया की मांग कर रहे हैं। ताकि स्कूली बच्चों और किसानों को आने-जाने में अपनी जान दांव पर न लगाना पड़े। लेकिन हर बार क्षेत्रीय प्रतिनिधि और शासन-प्रशासन की उदासीनता कहें या लापरवाही, जिसके चलते वहां के ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है।

शासन-प्रशासन और तत्कालीन सांसदों ने वहां पुलिया निर्माण के लिए कभी कोई ठोस या निर्णायक कदम नहीं उठाए हैं। जिसके कारण आजादी के बाद से आज तक वहां के सैकड़ों ग्रामीण बरसात में अपनी जान दांव पर लगाकर इस नदी को एक छोटे से डोंगे के सहारे पार करने मजबूर हैं।

जब इस नदी को नाव के सहारे पार करते हुए ग्रामीण और स्कूली बच्चों की हैरान करने वाली तस्वारें सामने आई। जो बेहद चिंताजनक थी और सरकार के विकास के दावों को आईना दिखा रही थी। बता दें कि ग्राम बोरी, कटंगी ,गोंडी टोला सहित आसपास के ग्रामों के ग्रामीण और स्कूली बच्चे रोजाना इस नदी को नाव के सहारे पार कर पढ़ने के लिए लिंगा और परसवाड़ा के स्कूल आते है।

वहीं जब नदी में तेज बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति रहती है तो ऐसी स्थिति में अध्ययनरत बच्चों का स्कूल जाना छूट जाता है। परसवाड़ा, लिंगा के सैकड़ों किसानों के खेत इस नदी के उस पार बोरी-कटंगी ग्रामों में है, जिन्हें अपनी खेती कार्य के लिए लगभग रोजाना इस नदी को कैसी भी स्थिति में मजबूरी के साथ अपनी जान दांव पार लगाकर अपने खेतों तक पहुंचना होता है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में इस नदी मार्ग को डोंगे के सहारे पार करते वक्त हमेशा किसी न किसी दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है।

ग्रामीणों ने लगातार इस समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया, लेकिन केवल उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल पाया है। शासन-प्रशासन उनकी इस समस्या और सालों की बहुप्रतीक्षित मांग पर संज्ञान नहीं ले रहा है। 6 संसदीय कार्यकाल में भी तत्कालीन सांसदों ने सिर्फ वहां के पूल निर्माण के लिए आश्वासन मात्र दिया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस पंचवर्षीय योजना में भी बोरी और परसवाड़ा घाट की घिसर्री नदी पर पुलिया निर्माण नहीं किया गया तो वह उग्र आंदोलन को मजबूर हो जाएंगे। जिसकी संपूर्ण जवाबदारी प्रशासन की होगी।

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