Waqf Act 1995: केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) अपने तीसरे कार्यकाल में पहला बड़ा कदम उठाने जा रही है। मोदी सरकार वक्फ़ अधिनियम में बड़े संशोधन करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट ने वक्फ़ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। संशोधन बिल सरकार कल (5 अगस्त) को इसे संसद में पेश कर सकती है। जानकारी के मुताबिक इसमें संसोधन करके केंद्र सरकार वक्फ़ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को “वक्फ संपत्ति” बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है।

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सूत्रों की मानें तो सरकार वक्फ़ एक्ट में संशोधन बिल 5 अगस्त को संसद में पेश कर सकती है। मोदी सरकार में 5 अगस्त की तारीख़ विशेष महत्व रखती है क्योंकि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का बिल संसद पेश किया गया था। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन पीएम मोदी द्वारा किया गया था।

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सरकारी सूत्रों के अनुसार वक्फ़ बोर्डों के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, यानी कि वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति करीब 9.4 लाख एकड़ है। 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने बेसिक वक्फ़ एक्ट में संशोधन लाकर वक्फ बोर्डों को और अधिकार दिए थे।

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पहले भी केंद्र सरकार ने लिया था संज्ञान

इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्य में वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के व्यापक अधिकारों और अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वे में देरी पर संज्ञान लिया था। सरकार ने संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया था। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ़ कोर्ट के पास हो सकती है, लेकिन ऐसी अपीलों पर फ़ैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है। कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है. वहीं हाईकोर्ट में PIL के अलावा अपील का कोई प्रावधान नहीं है।

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क्या है वक्फ का मतलब? 

वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब है ट्रस्ट-जायदाद को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना। इस्लाम में ये एक तरह का धर्मार्थ बंदोबस्त है। वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं। ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है।

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कौन कर सकता है डोनेशन?

कोई भी वयस्क मुस्लिम व्यक्ति अपने नाम की प्रॉपर्टी वक्फ के नाम कर सकता है। वैसे वक्फ एक स्वैच्छिक कार्रवाई है, जिसके लिए कोई जबर्दस्ती नहीं। इस्लाम में दान-धर्म के लिए एक और टर्म प्रचलित है, जकात। ये हैसियतमंद मुसलमानों के लिए अनिवार्य है। आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं।

क्या है वक्फ कानून

साल 1954 में नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ। वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता। इसके बाद से कई बार इसमें संशोधन होता गया।

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क्यों इसे हिंदुओं की संपत्ति छीनने वाला अधिनियम कहा जाता है

  • वक्फ अधिनियम सर्वप्रथम 1954 में पारित किया गया था, लेकिन बाद में 1995 में इसे नए संस्करण द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियां प्रदान की गईं।
  • 2013 में अधिनियम में और संशोधन करके वक्फ बोर्डों को कानूनी चुनौती के बिना संपत्ति अर्जित करने के व्यापक अधिकार प्रदान किये गये।
  • 2014 में कांग्रेस पार्टी ने इसी कानून का इस्तेमाल करके दिल्ली में 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हिंदुओं की जमीन चली गई।
  • वक्फ बोर्ड को अब मुस्लिम चैरिटी के नाम पर संपत्तियों पर दावा करने का अधिकार है।
  • यह अधिनियम मूलतः पाकिस्तान से आये हिन्दुओं और विभाजन के दौरान भारत छोड़ने वाले मुसलमानों के बीच संपत्ति विवादों से उत्पन्न हुआ था।
  • वर्तमान में, वक्फ बोर्ड के अधीन 8,54,509 से अधिक संपत्तियां हैं, जिनमें आठ लाख एकड़ से अधिक भूमि शामिल है।
  • वक्फ बोर्ड ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी संपत्ति में काफी विस्तार किया है, हालांकि देश में कुल भूमि का आकार वही है।
  • बोर्ड अक्सर कब्रिस्तानों और अवैध धार्मिक स्थलों के आसपास की भूमि को अपनी संपत्ति मान लेता है, जिसके कारण अतिक्रमण होता है।
  • वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 बोर्ड को बिना किसी सबूत की आवश्यकता के केवल अपनी “सोच” के आधार पर भूमि पर दावा करने की अनुमति देती है।
  • यदि बोर्ड किसी संपत्ति पर दावा करता है, तो मालिक अदालत नहीं जा सकता, बल्कि उसे वक्फ न्यायाधिकरण न्यायालय में जाना होगा।
  • अधिनियम की धारा 85 न्यायाधिकरण के निर्णय को अंतिम बनाती है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय भी चुनौती नहीं दे सकता।
  • अधिनियम की धारा 40 के तहत साक्ष्य प्रस्तुत करने का भार भूमि स्वामी पर डाल दिया गया है, जिससे बोर्ड के दावों का विरोध करना अत्यंत कठिन हो गया है।
  • भारत में वक्फ अधिनियम अद्वितीय है, क्योंकि हिंदुओं, ईसाइयों या सिखों के लिए समान कानून नहीं हैं।
  • इसके विपरीत, 1991 का उपासना स्थल अधिनियम धार्मिक स्थलों को उसी रूप में संरक्षित करता है, जैसा वे भारत की स्वतंत्रता के समय थे।
  • भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में वक्फ अधिनियम का अस्तित्व संदिग्ध है, क्योंकि यह एक धार्मिक समूह को विशेष अधिकार देता है।
  • उल्लेखनीय बात यह है कि कई मुस्लिम देशों में समतुल्य वक्फ बोर्ड या वक्फ कानून नहीं हैं।
  • कुछ लोगों का तर्क है कि भारत में वक्फ अधिनियम को निरस्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसे असंवैधानिक माना जाता है।

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