छिंदकवंश का एक मात्र नाग मंदिर बारसूर के पास नागफनी में स्थित है. इसे सजाने-सवांरने के लिए तत्कालीन कलेक्टर ने नियमों को ताख पर रखकर पंचायत को एजेंसी बनाया और रायपुर के ठेकेदार को मंदिर का काम दिया. इस कार्य का आरंभ तो हुआ, लेकिन ये पूर्ण होने का नाम ही नहीं ले रहा है. नागपंचमी के त्योहार के लिए महज 4 दिन का समय बचा है. यहां नागपंचमी के दिन पूजा-पाठ के साथ एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है. आदिवासियों की इस मंदिर से गहरी आस्था जुड़ी है. यहां आस-पास की दर्जनों पंचायतों के आदिवासी पूजा करने के लिए जुटते है. इतना ही नहीं शहर के लोग भी नागपंचमी दिन इस मंदिर में पूजा करने के पहुंचते हैं.

लेकिन अब भक्तों के लिए एक बूरी खबर सामने आई है. इस बार लोग मंदिर के उस तरह से दर्शन नहीं कर सकेगें. यहां चल रहा निर्माण पूर्ण ही नहीं है. गर्भगृह में पानी रिस रहा है. मंदिर के ऊपर जो गुंबद बनाई जा रही है, वह भी अधूरी पड़ी है. यहां पूजा करने वाले पुजारी हलकूराम अटामी कहते है प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर विधायक तक से गुहार लगा चुके है, लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं करवाया जा रहा है. ठकेदार दो माह से नहीं आया है. अभी बीच में दो दिन के लिए आया और काम शुरू करवाया, अब फिर से बंद हो गया है. मंदिर की अंदर की स्थिति को सुधारने के बाद में काम शुरू कर दे. जिससे नागपंचमी के दिन लगने वाले मेले में लोगों को दिक्क्त न हो. Read More – Ranvir Shorey को खल रही है Sana Makbul की जीत, कहा- कई लोग थे ट्रॉफी के ज्यादा हकदार …

द्वार पर लाकर रख दिए गए मंदिर के द्वारपाल

मंदिर का बेहतर नक्शा बनाने के लिए जो प्रयास किए गए वो फिलहाल डेढ साल के बाद भी अधूरा है. नाग देवताओं के द्वारपाल को बाहर लाकर खड़ा कर दिया गया है. हालात ये हैं कि ठेकेदार ने मंदिर बद से बदत्तर कर दिए है. मंदिर को बेहतर बनाने का ये प्रयास फिलहाल गले की फांस बन गया है. आदिवासियों में भारी आक्रोश पनप रहा है. जैसे-जैसे नगापंचमी का त्योहार नजदीक आ रहा है, आस-पास के क्षेत्र में तरह-तरह की बातें होने लगी हैं. लोगों का कहना है, लोकल स्तर पर काम करवाया जाता तो बेहतर था, बाहरी ठेकेदार को काम देकर जिला प्रशासन ने यह समस्या खड़ी की है.

दीवार से गिरने लगा राजस्थान का पत्थर

मंदिर की दीवारों में राजस्थाना का पत्थर लगाया जा रहा है, वह भी दीवारों से जगह छोड़ कर गिर रहा है. पुजारी कहते हैं बनने से पहले ये हाल है, तो बनने के बाद क्या स्थिति होगी. करीब ढाई एकड के परिसर में स्थित मंदिर करी बाउंड्री बॉल से पत्थर निकल रहा है. यहां बेहद घटिया काम को अंजाम दिया जा रहा है. यहां नया निर्माण के नाम के रूप में सिर्फ गुंबद ही तैयार हो रही है. इसके अलाबा निर्माण कुछ नहीं हो रहा है, सिर्फ पत्थरों का ही दीवारों पर लगाया जा रहा है. यही कार्य सिर्फ ठेकेदार को करना है वह भी बेहद गुणवत्ता विहीन किया जा रहा है. Read More – Anant Ambani और Radhika Merchant की शादी की रस्में हुईं शुरू, मामेरु रस्म में दिखा पूरा परिवार ...

डेढ करोड़ के कार्य से निकाला गया 75 लाख

पंचायतों में एक बड़ा ट्रैंड निकाला गया था. जिसमें जिले की पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया गया और ठेकेदारों को काम सौंपा गया. जिले भर की दर्जनों पंचायतों में इस तरह से कार्य कारवाए गए. उसी कड़ी का एक उदाहरण है कोरलापाल पंचायत में नगाफनी स्थित नागमंदिर में चल रहा काम भी है. पंचाय को सीधा डेढ करोड़ का कार्य एक साथ सेंशन नहीं किया जा सकता, तो उसके टुकड़ों में दिया गया है. डीएमएफ की राशि का बंदरबांट ऐसा कार्य अधूरा है, लेकिन आधी रकम ठेकेदार को निकाल कर दे दी गई है. सरंपच पति धनीराम स्थाम कहते है ऐजेंसी पंचायत है, लेकिन रायपुर का कोई ठेकेदार काम कर रहा है. एक करोड़ 47 लाख का कार्य है. इसमें 76 लाख रुपए निकल चुका है.