Sheikh Hasina: बांग्‍लादेश (Bangladesh) में भारी हिंसा के बाद तख्तापलट हो गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने इस्तीफा देकर हेलिकॉप्टर से भारत पहुंच गई है। उनका हेलीकॉप्टर त्रिपुरा में उतरा। हसीना त्रिपुरा से नई दिल्ली पहुंच रहीं हैं। यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी मुश्किलों में आने पर शेख हसीना भारत का रुख कर चुकी हैं। वर्ष 1975 में वर्तमान प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान (शेख हसीना के पिता) (Sheikh Mujibur Rahman) के खिलाफ सेना ने बगावत कर दी थी और हसीना के परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस लड़ाई में हसीना के पिता-मां और 3 भाईयों की हत्या कर दी गई। हालांकि हसीना, उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन भारत में भागकर जान बचाई थी। ऐसे में आइए जानते हैं कि शेख हसीना का राजनैतिक इतिहास….

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शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को बांग्लादेश में हुआ था। उनके पिता बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान थे। हसीना अपने घर की सबसे बड़ी बेटी हैं। उनका शुरुआती जीवन बांगलादेश के ढाका में गुजरा है। एक छात्र नेता के रूप में उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। शेख हसीना यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका में भी स्टूडेंट पॉलिटिक्स में सक्रिय रहीं। लोगों से प्रशंसा मिलने के बाद हसीना ने अपने पिता की आवामी लीग के स्टूडेंट विंग को संभाला था।

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पांर्टी संभालने के बाद शेख हसीना बुरे दौर से गुजरीं जब उनके माता-पिता और 3 भाईयों की हत्या कर दी गई थी। यह बात साल 1975 की है। इस दौरान सेना ने बगावत कर दी थी और हसीना के परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस लड़ाई में हसीना के पिता-मां और 3 भाईयों की हत्या कर दी गई. लेकिन हसीना, उनके पति वाजिद मियां और छोटी बहन की जान बच गई थी।

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घरवालों के जाने के बाद शेख हसीना कुछ समय के लिए जर्मनी चली गईं थीं। शेख हसीना के भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से अच्छे रिश्ते थे। जर्मनी के बाद इंदिरा गांधी ने शेख हसीना को भारत बुलाया और फिर वह कुछ सालों तक दिल्ली में रहीं।

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वर्ष 1981 में शेख हसीना बांग्लादेश वापस लौंटी थीं

1981 में शेख हसीना अपने वतन बांग्लादेश वापस लौंटी। बांग्लादेश जाने के बाद शेख हसीना से वापस अपनी पार्टी ज्वॉइन की और कार्यभार संभाला था। अपने कार्यकाल में उन्होंने पार्टी में कई बदलाव किए। शेख हसीना ने 1968 में भौतिक विज्ञानी एम. ए. वाजेद मियां से शादी की थी, जिससे उनका एक बेटा सजीब वाजेद और बेटी साइमा वाजेद हैं।

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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा किया

शेख हसीना ने 1996 से 2001 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा किया था। वह स्वतंत्रता के बाद से पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली देश की पहली प्रधानमंत्री भी बनीं थी। इस कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारत सरकार के साथ गंगा नदी पर 30 साल के जल बंटवारे की संधि पर भी हस्ताक्षर किए थे। साल 2001 के आम चुनावों में शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा, लेकिन 2008 में वह प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर बांग्लादेश की सत्ता में लौट आईं। वर्ष 2004 में हसीना की रैली में ग्रेनेड विस्फोट के जरिए उनकी हत्या का प्रयास हुआ, जिसमें वह बच गईं. 2009 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, हसीना ने 1971 के युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई के लिए एक ट्रिब्यूनल गठित किया। ट्रिब्यूनल ने विपक्ष के कुछ हाई-प्रोफाइल नेताओं को दोषी ठहराया, जिससे हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

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लागातार 4 बार प्रधानमंत्री रहीं

शेख हसीना वाजेद (Sheikh Hasina Wazed) जनवरी 2009 से बांग्लादेश का प्रधानमंत्री पद संभाले हुई थीं। उन्होंने 1986 से 1990 तक, और 1991 से 1995 तक, बतौर विपक्ष की नेता काम किया था। वह 1981 से अवामी लीग (AL) का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने जून 1996 से जुलाई 2001 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 2009 में, उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली। 2014 में, उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया। उन्होंने 2018 में फिर से जीत दर्ज की और चौथे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बनीं थीं।

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