लखनऊ. तहजीब और नवाओं के शहर राजधानी लखनऊ के गोमती नगर में ताज होटल के निकट हुए जलभराव की घटना ने सभी शहरवासियों को शर्मसार कर दिया है. मात्र दो घंटे की बारिश में ऐसा प्रतीत हुआ गोमती नदी में बाढ़ सी आ गई हो. अगर यह बारिश 4 से 6 घंटे होती तो जरा सोचिए राजधानी की स्थिति क्या होती.

वर्षा ऋतु से पूर्व मंडल आयुक्त रौशन जैकब, लखनऊ डीएम सूर्यकुमार गंगवार, नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह लगातार नगर निगम अधिकारियों के साथ बैठक कर यह आदेशित करते रहे कि राजधानी लखनऊ में कहीं पर भी जलभराव की समस्या ना उत्पन्न हो. लेकिन इन आदेशों पर ना तो नगर निगम के किसी अधिकारी ने संज्ञान लिया ना कर्मचारियों ने. मात्र 2 घंटे की बारिश से नगर निगम खुद को ना बचा सका.

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मानसून सत्र की कार्रवाई के समापन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विधानसभा के बाहर निकलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि पानी विधानसभा तक पहुंच गया. क्या इस पूरे घटनाक्रम के लिए नगर निगम के अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होनी चाहिए?

व्यापारियों का करोड़ों का नुकसान

क्या नगर निगम के उन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जो राजधानी में मात्र दो घंटे की बारिश में जलभराव के जिम्मेदार हैं? अगर पुलिस विभाग के लोग दोषी हैं, तो उनसे कहीं ज्यादा दोषी नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी हैं. राजधानी के व्यापारियों का करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया.

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