मधुश्रावणी पर्व 14 दिन तक नवविवाहितओं द्वारा की जाने वाली पूजा है. बिहार में धूमधाम से मधुश्रावणी व्रत किया जा रहा है. यह व्रत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली और पति की दीर्घायु के लिए करती हैं. सोलह श्रृंगार करके बगीचे में जाती हैं और फूलों से अपने डाल को सजाती हैं. इस व्रत में पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शंकर एवं मां पार्वती के साथ ही साथ नाग देवता की पूजा की जाती है. खास बात यह है कि इस पारंपरिक व्रत को नवविवाहिताएं अपने मायके में करतीं है, लेकिन पूजा की सामग्री एवं अन्य सामान उसके ससुराल से ही आता है.

पूरे मिथिलांचल में खास उत्साह के साथ मधुश्रावणी व्रत किया जा रहा है. 13 से 15 दिनों तक चलने वाला यह व्रत सिर्फ नवविवाहिताएं करतीं है. यह व्रत इस बार 7 अगस्त से शुरू होगा. खास बात यह है कि इस व्रत में महिला पुरोहित द्वारा पूजा कराई जाती है. यही एक मात्र पर्व माना जाता है, जिसमें पुरुष ब्राह्मण नहीं, बल्कि महिला पूरे विधि-विधान से पूजा कराती है.
पूजा के दौरान मैना पंचमी, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, महादेव कथा, गौरी तपस्या, शिव विवाह, गंगा कथा, बिहुला कथा तथा बाल वसंत कथा सहित 14 खंडों में कथा का श्रवण किया जाता है. इस दौरान महिला कथा वाचिकाओं महिलाओं को समूह में बैठाकर कथा सुनती है. पूजन के सातवें, आठवें तथा नौवें दिन प्रसाद के रूप में खीर का भोग लगाया जाता है. प्रतिदिन संध्या में महिलाएं आरती, सुहाग गीत तथा कोहबर गाकर भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं. Read More – Ranvir Shorey को खल रही है Sana Makbul की जीत, कहा- कई लोग थे ट्रॉफी के ज्यादा हकदार …

व्रत के पीछे की यह मान्यता है

मान्यता है कि माता पार्वती ने सबसे पहले मधुश्रावणी व्रत रखा था. जन्म जन्मांतर तक भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करती रहीं. इस पर्व के दौरान माता पार्वती और भगवान शिव से संबंधित मधुश्रावणी की कथा सुनाई जाती है. साथ ही साथ बासी फूल, ससुराल से आई पूजन सामग्री, दूध, लावा और अन्य सामग्री के साथ नाग देवता व विषहर की भी पूजा की जाती है. Read More – Anant Ambani और Radhika Merchant की शादी की रस्में हुईं शुरू, मामेरु रस्म में दिखा पूरा परिवार ...

टेमी दागने परंपरा

पूजा के 14वे दिन व्रत करने वाली नवीवाहिता को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है. टेमी दागने की परंपरा में नवविवाहिताओं को रूई की टेमी से हाथ एवं पांव को पान के पत्ते रखकर टेमी जलाकर दागा जाता है. पूजा के अंतिम दिन 14 छोटे छोटे बर्तनों में दही और फल मिष्ठान सजाकर पूजा की जाती है. साथ ही 14 सुहागिन के बीच प्रसाद का वितरण कर ससुराल पक्ष से आए हुए बुजुर्ग महिला से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. उसके बाद पूजा का समापन होता है.