विक्रम मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हरदोई में 3 साल की मासूम से दुष्कर्म करने वाले उसके सगे ताऊ को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। पॉक्सो कोर्ट के जज ने रामचरित मानस की चौपाई लिख कर हैवान को मृत्युदंड का दिया है। चार साल तक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद जब न्यायाधीश ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई तो पीड़ित पक्ष के आंखों से आंसू छलक पड़े।
हरदोई जिले के पॉक्सो कोर्ट ने तीन जजों की बेंच में 4 साल तक चली सुनवाई के बाद आखिरकार 7 वर्षीय मासूम को न्याय मिल पाया। पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने में हरदोई पुलिस की काफी अहम भूमिका रही। हरदोई पुलिस ने न सिर्फ आरोपी को गिरफ्तार किया बल्कि अच्छी पैरवी करते हुए आरोपी शख्स को फांसी तक पहुंचाया है।
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मामला सांडी थाना क्षेत्र के एक गांव से जुड़ा हुआ है, जहां पर 30 साल के ईश्वर पाल उर्फ इशू ने अपने भाई की 3 वर्षीय पुत्री से रेप की वारदात को अंजाम दिया था। आरोपी अपने भाई की बेटी को सामान दिलाने के बहाने गोद में उठाकर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया था। नाबालिग बच्ची की मां की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और नाबालिग बच्ची का मेडिकल प्रशिक्षण कराकर आरोपी को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया।
अपर जिला जज ने न सिर्फ लिखित बल्कि मौखिक तौर पर भी गंभीर टिप्पणी की। अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने कहा कि सगी भतीजी के साथ ऐसा व्यवहार इंसान के रूप में एस वहशी जानवर ही कर सकता है। फैसले में अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने एक अहम तथ्य भी लिखा है।
उन्होंने कहा है कि आधुनिक सभ्यता में हम बेटियों सहित संपूर्ण स्त्री जाति के कल्याण व सुरक्षा के लिए अभियान चला रहे हैं, ताकि उन्हें समाज में सुरक्षित और सम्मानित जीवन जीने का अधिकार हो। ऐसी घटनाओं के प्रति समाज में कठोर रुख नहीं अपनाया जाता है तो न ही बेटियां बचेंगी और ना ही सुरक्षित और सम्मानित जीवन जी सकेंगी। समाज के न्याय के लिए गुहार को नहीं सुनाया गया तो न्याय प्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा। इससे समाज में असुरक्षा और भयावह स्थिति का उत्पन्न होना स्वाभाविक है। ऐसे मामले में आजीवन कारावास की सजा देना काफी नहीं होगा।
जनपद न्यायालय हरदोई के पॉक्सो कोर्ट संख्या 14 के पीठासीन अधिकारी मोहम्मद नसीम ने बलात्कार के जुर्म में रामचरितमानस की चौपाई लिखकर आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। उन्होंने लिखा, “अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥ इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई। ताहि बधें कछु पाप न होई।” अर्थात हे मूर्ख! सुन, छोटे भाई की स्त्री, बहिन, पुत्र की स्त्री और कन्या- ये चारों समान हैं। इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं होता।
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