अरविन्द मिश्रा, बलौदाबाजार। महिलाओं को अपने अधिकार को लेकर जागरूक बनाने के लिए भले ही सत्ता में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, लेकिन जमीन पर इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है, जहां आज भी महिलाओं के पति, पुत्र अथवा अन्य पुरुष रिश्तेदार-सहयोगी निर्णय ले रहे हैं. ऐसा ही नजारा बलौदाबाजार में हुई महिला आयोग की सुनवाई के दौरान देखने को मिला. इसे भी पढ़ें : मवेशी तस्करों के गढ़ में घुसकर पुलिस ने छुड़ाए 35 गौवंश, आधा दर्जन से अधिक आरोपी गिरफ्तार…

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने बलौदा बाजार के जिला पंचायत सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की. इस दौरान 34 मामलों की सुनवाई की गई. इस दौरान सिमगा विकासखंड के ग्राम मोहभट्ठा की सरपंच अंबिका महिलांग की शिकायत पर सुनवाई में चौकाने वाले तथ्य सामने आए.


महिला सरपंच अंबिका महिलांग की शिकायत थी कि 26 जनवरी 2024 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर ग्रामीणों ने उन्हें झंडा नहीं फहराने दिया. इस पर अनावेदक के रूप में उपस्थित 8 ग्रामीणों ने बताया कि महिला सरपंच के पति ग्राम पंचायत के कार्यों में दखलअंदाजी करते हैं. वह कभी कंपनियों का विरोध करते हैं, और कभी कंपनी को एनओसी दे देते हैं.

इस पर अनावेदकों ने एक वर्ष पूर्व सरपंच और रामा मेटल स्पंज पावर कंपनी के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर किए हैं, जिस पर सुनवाई चल रही है. इसी से बचने के लिए महिला सरपंच उनके खिलाफ महिला आयोग में प्रताड़ित करने की शिकायत की हैं.

अपने पति के साथ महिला आयोग पहुंची सरपंच अंबिका महिलांग.

सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया कि सरपंच के पति सरपंच को पीछे से बोलने के लिए सीखा रहे थे. तब आयोग ने समझाइश दिया कि सरपंच अपने पद की जिम्मेदारियां का निर्वहन अपने विवेक से करें अपने पति के इशारों पर ना चले इसके साथ ही इस प्रकरण को आयोग ने खत्म कर दिया. आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने महिला सरपंच के मामले में कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपने विवेक से निर्णय लेना चाहिए.