इस्लामाबाद। बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रमों पर कई क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया दी है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का निष्कासन भी शामिल है. लेकिन वह देश जिसका कभी बांग्लादेश हिस्सा था, उस पाकिस्तान ने चुप्पी साध रखी है.

कई सप्ताह तक चले खूनी विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर शेख हसीना के अनौपचारिक तरीके से पद से हटने के दो दिन बाद भी इस्लामाबाद में विदेश कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पाकिस्तान उन घटनाक्रमों पर नज़र नहीं रख रहा है, जिनका क्षेत्र और देश पर असर पड़ेगा.

एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि बांग्लादेश में हो रही घटनाओं पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी न करने का पाकिस्तान का कदम जानबूझकर और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.

सूत्र ने कहा, “यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है और हम बांग्लादेश और उसके लोगों की भलाई की कामना करते हैं.” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से अनावश्यक रूप से बयान देना या पक्ष लेना बुद्धिमानी नहीं है.

लेकिन पर्दे के पीछे नीति निर्माता बांग्लादेश के साथ बिगड़े संबंधों को फिर से स्थापित करने के लिए संभावित निहितार्थों और महत्वपूर्ण अवसरों पर चर्चा कर रहे हैं.

शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे. उनके कार्यकाल के दौरान विपक्षी नेताओं को फांसी दिए जाने से रिश्ते और भी खराब हो गए. एक अन्य सूत्र ने कहा, “वह रिश्ते का सबसे खराब दौर था.”

हालांकि, हाल ही में रिश्ते सुधारने के लिए कुछ छोटे-छोटे कदम उठाए गए हैं. लेकिन हसीना की भारत से नजदीकी और पाकिस्तान के प्रति उनके ऐतिहासिक द्वेष को देखते हुए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया. बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हसीना ने 1971 की घटनाओं के लिए पाकिस्तान से माफी मांगने को कहा था.

सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान ने उनकी सरकार से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कभी भी इस तरह का कोई कदम नहीं उठाया. लेकिन अब बांग्लादेश में आए बड़े बदलाव के साथ, पाकिस्तान के लिए ढाका के साथ अपने संबंधों को धीरे-धीरे सुधारने का अवसर हो सकता है.

बांग्लादेश में तेजी से बदलते घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए एक सूत्र ने कहा, “अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन हां, संभावनाएं हैं.” पाकिस्तान को लगता है कि ढाका में अगली सरकार इस्लामाबाद के प्रति वैमनस्यपूर्ण नहीं होगी, जैसा कि अवामी लीग सरकार के दौरान हुआ था.

फिर भी, इस्लामाबाद सावधानी से आगे बढ़ रहा है और इस समय बहुत आगे के बारे में नहीं सोचना चाहता. सूत्रों ने कहा कि अगर कभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया होती है, तो वह बांग्लादेश और उसके लोगों के लिए शुभकामना होगी.

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच तनावपूर्ण संबंधों ने क्षेत्रीय सहयोग को बाधित किया, खासकर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के मंच के तहत. पाकिस्तान को 2016 में सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करनी थी, लेकिन बांग्लादेश ने क्षेत्रीय सम्मेलन का बहिष्कार करने के लिए भारत का साथ दिया.

तब से शिखर सम्मेलन कभी नहीं हुआ और बांग्लादेश भारत की लाइन पर चलता रहा. हालांकि, सरकार बदलने और नई सरकार के आने से यह समीकरण बदल सकता है.