Waqf Act Amendment Bill 2024: मोदी सरकार (Modi government) वक्फ बोर्ड (Waqf Board) में बड़े संशोधन करने जा रही है। केंद्र सरकार आज (8 अगस्त) वक्फ एक्ट संशोधिन बिल संसद भवन में पेश कर सकती है। इससे पहले पिछले दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। वहीं वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर जमीयत पर उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) और अखिल सूफी दरगाह परिषद (all india sufi sajjadanashin council) आमने-सामने आ गई है। जमीयत पर उलेमा ए हिंद ने जहां वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का विरोध किया है। वहीं अखिल सूफी दरगाह परिषद ने मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
वक्फ एक्ट में संशोधन करने से पहले जमीयत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी (Arshad Madani) ने मोदी सरकार को खुली धमकी दी है। मदनी ने कहा कि सरकार यह बात अच्छी तरह जानती है कि मुसलमान हर नुकसान बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता।
मदनी ने आरोप लगाया कि जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार आई है तब से मुसलमानों के खिलाफ नए-नए कानून ला रही है। उन्होंने एनडीए के दूसरे दलों पर भी निशना साधा। उन्होंने कहा है कि इन संशोधनों से केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों की स्थिति और स्वभाव को बदल देना चाहती है, ताकि उन पर कब्जा करके मुस्लिम वक्फ की स्थिति को समाप्त करना आसान हो जाए।
वहीं भारत के सूफियों की एक बड़ी संस्था, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने संसद में पेश होने वाले प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने दरगाहों को संचालित करने के लिए एक अलग अधिनियम की मांग की है। बता दें कि परिषद ने सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से भी मुलाकात की और संशोधनों के लिए अपना समर्थन दिया। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि परिषद इस सरकार द्वारा प्रस्तावित (कानून में) संशोधनों का समर्थन करती है। इसकी सख्त जरूरत है।
दरगाह के लिए की मांग
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने आगे कहा कि दरगाहों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है और हमारी मांगों को पूरा किया जाना चाहिए। हमें पूरा विश्वास है कि सरकार मुसलमानों के पक्ष में विधेयक पेश करेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को गलत जानकारी नहीं फैलानी चाहिए और सरकार द्वारा संसद में पेश किए जाने पर पहले विधेयक के प्रावधानों को देखना चाहिए। दरगाहों को अपनी संपत्तियों का सात प्रतिशत वक्फ बोर्ड को आवंटित करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि संशोधन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वक्फ बोर्ड में नियुक्त सदस्य न तो सुफी विश्वास को समझते हैं और न ही दरगाहों की परंपराओं और रीति-रिवाजों को जानते हैं और मनमाने ढंग से काम करते हैं और मांग की है कि सज्जादानशीन का एक प्रतिनिधि राज्य वक्फ बोर्ड का सदस्य होना चाहिए।
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