दुर्ग. जिले में किसानों और जमीन खरीदी बिक्री करने वालों को ऋण पुस्तिका के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है. लगभग 10 महीने से अधिक समय से किसान विकास पुस्तिका यानी ऋण पुस्तिका के संकट से जूझ रहे. इसके चलते लोगों के कई भूमि संबंधित काम रुक गए हैं. इसका मुख्य कारण राजनादगांव स्थित प्रिटिंग प्रेस से डिमांड अनुसार ऋण पुस्तिका की सप्लाई नहीं होना बताया जा रहा है. जिले में 10 हजार ऋण पुस्तिका की मांग की गई तो प्रिंटिग प्रेस से सिर्फ 2 हजार पुस्तिका ही उपलब्ध कराई गई है.
बता दें कि दुर्ग जिले में 4 तहसील और दो उप तहसील हैं, जिसमें लगभग 184 पटवारी हल्का नम्बर है. दुर्ग में 58, पाटन में 55, धमधा में 26, भिलाई में 11, अहिवारा में 21 और भिलाई 3 में 13 हल्का संख्या है. जिले में पटवारियों की संख्या 150 है, जिसमें दुर्ग जिले में पुस्तिका की सप्लाई करने वाले कानूनगो विभाग के अधिकारी भी कसमकश की स्थिति में हैं, क्योंकि जिले में लगभग 15 हजार लोगों की किसान विकास पुस्तिका नहीं मिली है. ऐसे में लगभग 170 से अधिक पटवारी, दुर्ग जिले में पुस्तिका की सप्लाई करने वाले कानूनगो विभाग के अधिकारी भी कसमकश की स्थिति में हैं.
किसानों को हो रहा बड़ा नुकसान
ऋण पुस्तिका नहीं बन पाने के कारण सबसे अधिक नुकसान किसानों को रहा है. ऐसे किसानों की संख्या लगभग 5 हजार है. 10 महीने की अवधि में खेत खरीदने वालों को ऋण पुस्तिका के बिना सोसाइटी में खाता न खोल पाना, खाद, बीज, कृषि लोन से वंचित होना जैसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. नतीजतन परेशान किसानों को पटवारी दफ्तरों का चक्कर काटना पड़ रहा है.
शहरी क्षेत्रों में भी पड़ रहा असर
वहीं शहरी इलाके में प्लॉट खरीदने वालों को बिना ऋण पुस्तिका के प्लाट बेचने में असुविधा हो रही है. ऐसे लोगों की संख्या लगभग 10 हजार है. बिना ऋण पुस्तिका के ऐसा करना संभव नहीं है. वहीं कृषि भूमि का डायवर्सन और प्रमाणीकरण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में परेशान लोगों द्वारा कई पटवारियों की शिकायत अब तहसीलदार और एसडीएम तक पहुंच रही है, लेकिन वे भी प्रशानिक व्यवस्था से मजबूर हैं. ऋण पुस्तिका नहीं होने से कई जमीनों की रजिस्ट्री रुक गई है.
इस सेक्शन को जिला प्रशासन की भू अभिलेख शाखा से पुस्तिका आवंटित की जाती है. भू अभिलेख शाखा को सरकारी प्रेस से सप्लाई किया जाता है. बीते 8 महीने से पटवारी को डिमांड के अनुसार ऋण पुस्तिका नहीं मिल पा रही है.
दुर्ग कलेक्टर भी इस समस्या के आगे मजबूर
दुर्ग कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी से जब इस समस्या को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने बात की तो उन्होंने बताया कि जिले में ऋण पुस्तिका की समस्या है. इसके लिए राजनादगांव स्थित प्रिंटिग प्रेस को तीन बार रिमाइंडर भी भेजा गया, लेकिन मांग के अनुसार आपूर्ति बहुत ही कम है. 10 हजार पुस्तिका की मांग करने पर एक से दो हजार पुस्तिका ही मिल पा रही है. अन्य जिलों में भी यही समस्या बनी हुई है. लोगों को बार बार दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़े इसके लिए नोटिस चस्पा कराया गया है. जल्द ही आपूर्ति बढ़ोने के प्रयास किए जा रहे हैं.
पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही छपाई : कानूनगो शाखा
कानूनगो शाखा के अधिकरियों के अनुसार जिले में किसान विकास पुस्तिका की सप्लाई राजनांदगांव सरकारी प्रेस से की जाती है. वहां अन्य शासकीय दस्तावेजों की छपाई का दबाव अधिक होने की वजह से ऋण पुस्तिका की छपाई पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है. जुलाई माह में अंतिम बार डिमांड नोटिस भेजा गया था, लेकिन 4 हजार प्रति ही मिल पाई है. इसके कारण बड़े हल्के वाले पटवारी कार्यालयों में 50 – 50 प्रति भेजी जा रही है. छोटे हल्के वाले पटवारी कार्यालयों में 10 से 15 पुस्तिका दी जा रही.
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