Waqf Act: मोदी सरकार (Modi government) ने संसद के मानसून सत्र में विगत गुरुवार (8 अगस्त) को वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक (Waqf Board Amendment Bill 2024) लोकसभा (Lok Sabha) में पेश कर दिया। हालांकि सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लोकसभा में पास करने से पहले जेपीसी (JPC) के पास भेजने का प्रस्ताव दिया है। वहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला कमेटी बनाएंगे। वहीं वक्क कानून में संशोधन पर संसद में काफी ज्यादा हंगामा देखने को मिला। इंडिया अलांयस के पार्टियों के साथ ही मुस्लिम संगठनों ने भी सरकार की आलोचना की।

Waqf Board: वक्फ बिल पर जमीयत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी ने मोदी सरकार को दी खुली धमकी, कहा- मुसलमान बर्दाश्त कर सकता है हर नुकसान, लेकिन शरीयत…’ Arshad Madani On Waqf Act

प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के दोनों गुटों-अशरद मदनी व महमूद मदनी और जमात-ए-इस्लामी हिंद (Jamaat-e-Islami Hind) ने वक्फ बोर्ड में संशोधन का विरोध किया। जमीयत और जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया।साथ ही वक्फ में महिलाओं को शामिल करना शरिया के खिलाफ है।

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वक्फ एक्ट में संशोधन पर जमीयत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी ने तो मोदी सरकार को खुली धमकी दी है। मदनी ने कहा कि सरकार यह बात अच्छी तरह जानती है कि मुसलमान हर नुकसान बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता।

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मदनी ने कहा कि  “जब से यह सरकार आई है विभिन्न बहानों और हथकंडों से मुसलमानों को अराजकता और भय में रखने के लिए ऐसे-ऐसे नए कानून ला रही है, जिससे शरई मामलों में खुला हस्तक्षेप होता है। सरकार यह बात अच्छी तरह जानती है कि मुसलमान हर नुकसान बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता।

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वहीं, जमीयत (एमएम गुट) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि संशोधन विधेयक वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए हानिकारक है, क्योंकि इससे सरकारी एजेंसियों को अनावश्यक हस्तक्षेप का अवसर मिलेगा, जिससे वक्फ की मूल स्थिति और अल्लाह के स्वामित्व की अवधारणा का हनन होगा। राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा कि वक्फ अधिकरण के बजाय जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व और कब्जे से संबंधित मुद्दों और विवादों को राजस्व कानूनों के अनुसार हल करने का अधिकार दिया जाना, एक तरह से वक्फ बोर्ड को खत्म करने के समान है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वक्फ संबंधी कानून में कोई भी परिवर्तन धार्मिक वर्गों और मुस्लिम संस्थानों की सहमति से किया जाए।

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विधेयक से बढ़ेगा कलेक्टर राज: जमात-ए-इस्लामी हिंद

जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर (अध्यक्ष) सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने दावा किया कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के साथ किसी भी परामर्श के बिना तैयार किया गया है और चर्चा में किसी भी हितधारक को शामिल नहीं किया गया। जमात की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि कानून में प्रस्तावित परिवर्तन लाभकारी होने के बजाय हानिकारक हैं और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए, क्योंकि प्रस्तावित विधेयक एक प्रकार से कलेक्टर राज को बढ़ावा देता है। हालांकि उन्होंने कहा कि बोर्ड में महिलाओं को शामिल करना और शिया या अन्य कम प्रतिनिधित्व वाले अन्य मुस्लिम पंथों को बढ़ावा देना एक सकारात्मक कदम है और वह इसका स्वागत करते हैं।

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