कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक एवं बहुजन समाज के नेता फूल सिंह बरैया ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले को संविधान के खिलाफ बताया है। विधायक बरैया का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार के मंतव्य के अनुरूप यह फैसला दिया है। केंद्र सरकार चुनाव से पहले ही कहती रही है कि वह बहुमत में आई तो संविधान खत्म करेगी और आरक्षण को भी समाप्त करेगी। उसी की दिशा में यह पहला कदम है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जो वर्डिक्ट दिया है उसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण से अलग करने और राज्य सरकारों को उपजातियां निर्धारित करने के अधिकार दिए गए हैं। जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति के सभी अधिकार संविधान के आर्टिकल 341 के मुताबिक राष्ट्रपति के पास सुरक्षित रहते हैं।
फूल सिंह बरैया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर और वर्गीकरण के बारे में अपना फैसला सुना दिया। लेकिन जातिवार जनगणना को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है। जबकि जातिगत जनगणना के हिसाब से ही अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग की सही स्थिति का आंकलन किया जा सकता है। जिसमें उनका सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक वजूद के बारे में सही आंकलन हो सके। इसके बाद ही क्रीमी लेयर और उपजाति के बारे में कोई फैसला दिया जाना था।
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उन्होंने बताया कि देश की संपत्ति में मात्र दो फीसदी संपत्ति अनुसूचित जाति के पास है। एक फीसदी संपत्ति अनुसूचित जनजाति के पास है। जबकि 8 फीसदी पिछड़े वर्ग के पास है। ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि इन वर्गों में आने वाले लोगों की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति मजबूत हो चुकी है और उन्हें क्रीमी लेयर के दायरे में डाला जा सकता है।
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सबसे पहले जातिगत जनगणना करानी चाहिए इसके बाद ही उपजाति के बारे में अधिकार की बात की जानी चाहिए। केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल पर राज्यों के एडवोकेट जनरल यदि जातिवार लोगों की स्थिति के बारे में सुप्रीम कोर्ट को बताते तो उसका फैसला अलग होता जिसका सभी लोग स्वागत कर रहे होते।
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