Hindenburg On Madhabi Puri Buch: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) एक बार फिर से भारत में सुर्खियों में है। पिछली बार अडानी ग्रुप को निशाना बनाने वाली हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने इस बार सीधा मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) पर हमला बोला है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने खुलासे में दावा किया है कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चला है कि SEBI चेयरमैन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। यही वजह है कि अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ उन्होंने 18 महीने में भी कार्रवाई नहीं की है। हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट से भारत में सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमासान मचना तय है।
अडानी समूह के बाद अब किस पर है हिंडनबर्ग रिसर्च निशाना?, ‘X’ पर कहा- ‘भारत में जल्द कुछ बड़ा होगा’
इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस खुलासे के बारे में सुबह सोशल मीडिया एक्स पर ऐलान कर दिया था। अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने पोस्ट में लिखा था, “भारत में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है।
सेबी अध्यक्ष ने आरोपों को निराधार बताया
वहीं सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति ने शनिवार को हिंडनबर्ग के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि उनका फाइनेंस एक खुली किताब है। माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने एक बयान में यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है। माधबी बुच ने कहा, ‘हमारे खिलाफ 10 अगस्त, 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के संदर्भ में हम यह कहना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं।
शनिवार शाम को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक और पोस्ट करते हुए अपनी वेबसाइट पर इस खुलासे दावा करते हुए इससे संबंधित रिपोर्ट शेयर की। हिंडनबर्ग ने इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और SEBI चीफ के बीच लिंक होने का दावा किया। हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि व्हिसलब्लोअर से मिले दस्तावेजों से पता चलता है जिन ऑफशोर संस्थाओं का इस्तेमाल अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में हुआ, उसमें SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए लिखा है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला। आईआईएफएल के एक प्रिंसिपल द्वारा हस्ताक्षरित फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत सैलरी है और दंपति की कुल निवेश 10 मिलियन डॉलर आंका गया है।
हिंडनबर्ग का आरोप है कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से अडानी के एक निदेशक ने की थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है।
ऑबसक्योर ऑफशोर फंड्स से किया गया पैसों का हेरफेर
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा कि व्हीसलब्लोअर डॉक्यूमेंट के मुताबिक, सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के पति की ऑबसक्योर ऑफशोर फंड्स (Obscure Offshore Funds) में हिस्सेदारी है। इसका इस्तेमाल अडानी के पैसे के हेरफेर करने में (Adani Money Siphoning Scandal) इस्तेमाल किया गया है।
18 महीने पहले दी सारी जानकारी, फिर भी नहीं की कार्रवाई
हिंडनबर्ग ने अपने कथित खुलासे में कहा कि अडानी ग्रुप के खिलाफ पिछले साल आई रिपोर्ट को 18 महीने गुजर जाने के बाद भी सेबी ने कार्रवाई में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। मॉरीशस में अडानी ग्रुप के काले धन नेटवर्क की पूरी जानकारी देने के बाद भी एक्शन नहीं लिया जा रहा है। जून, 2024 में सेबी ने उल्टा हमें ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।
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