यत्नेश सेन, इंदौर/देपालपुर। जब दिल में कुछ करने का जुनून हो, तो सबसे बड़ी कठिनाइयां भी आसान हो जाती हैं। ऐसा ही मामला इंदौर के देपालपुर से सामने आया है। जहां एक दिव्यांग व्यक्ति की प्रेरणादायक कहानी ने यह साबित कर दिया है कि कठिनाइयां बाधा नहीं बनती।

इस व्यक्ति के पास न तो दो पैर थे और न ही एक हाथ, लेकिन उसकी मेहनत और जूनून ने उसे अपनी वेल्डिंग मशीन के जरिए 20 से ज्यादा लोगों को रोजगार देने में सक्षम बना दिया। यह वेल्डिंग मशीन उसे किसी ने सहयोग में दी थी और आज उसी के बल पर उसने एक छोटा सा उद्योग स्थापित किया है, जो कई परिवारों की रोजी-रोटी का सहारा बन चुका है।

दूसरी ओर, उज्जैन की महाकाल नगरी में एक दिव्यांगजन दल ने एक अनूठी यात्रा की। 50 से ज्यादा दिव्यांगजन (जिनमें नेत्रहीन और श्रवण बाधित लोग भी शामिल थे) को निशुल्क यात्रा का लाभ मिला। वल्लभ वैष्णव मंडल, युवा मंडल, महिला मंडल और समर्थ सेवा संस्था द्वारा आयोजित इस यात्रा में 3 बसों में सवार 175 सदस्य विश्व के पांचवे धाम के दर्शन के लिए पहुंचे। दर्शन करके ये दिव्यांगजन गदगद हो गए और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

संस्था के प्रमुख लोगों ने बताया कि दिव्यांगजन उनके परिवार का हिस्सा हैं। संस्था में जुड़े सभी दिव्यांगजन रोजगार से जुड़े हुए हैं, और उनका उद्देश्य देश के चारों धामों की यात्रा करवाना है। तीन धाम की यात्रा पूरी हो चुकी है, और अब एक धाम की यात्रा बाकी है।

ये कहना गलत नहीं होगा कि जब सहयोग और समर्थन सही दिशा में दिया जाए, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है और कई जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

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