लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को फटकार लगाई है। उच्चतम न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आदेशों का पालन नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की है। SC ने कहा कि यूपी सरकार आचार संहिता का हवाला देते हुए क्षमा याचिकाओं पर निर्णय ले रही है, जबकि अदालत के आदेश के मुताबिक, छूट याचिका पर निर्णय आचार संहिता प्रभावित नहीं होता। अदालत ने मुख्यमंत्री कार्यालय के उन अधिकारियों का नाम भी पूछा है, जिन्होंने आदेश का पालन नहीं किया।

दलअसल, सुप्रीम कोर्ट आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई की याचिका पर विचार कर रहा था। इस दौरान SC ने उत्तरप्रदेश सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब समय से पहले रिहाई का आदेश दिया जाता है, तो उस पर विचार क्यों नहीं करते। अदालत के सवालों का जवाब देते हुए यूपी सरकार का पक्ष रख रहे वकील राजेश सिंह ने कहा कि सभी फाइल सक्षम अधिकारी के पास हैं। इस पर कार्रवाई की जाएगी। 5 जुलाई को मंत्री को फाइल भेजी गई थी जबकि सीएम को 11 जुलाई और राज्यपाल को 6 अगस्त को फाइल भेजी गई थी।

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यूपी सरकार के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर देरी होगी तो बंदी को मुआवजा कौन देगा ? इसके जवाब में यूपी सरकार के वकील ने कहा कि 16 अप्रैल को प्रस्ताव मिला था, तब तक मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गया था। अदालत ने फिर कहा कि, छूट आदेश में एमसीसी आड़े नहीं आता ऐसा बताया जा चुका है। आदेश देते हुए कहा कि, यूपी सरकार के पास कैदियों की रिहाई में देरी करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। इसलिए यह आदेश दिया जाता है कि, निज सचिव बताएं कि, किन अधिकारियों ने फाइल लेने से मना कर दिया था।

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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीत सप्ताह यूपी के प्रिजन डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव को कोर्ट के आदेशों का पालन न करने पर 12 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का आदेश दिया था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभय ओका ने की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अदालत के हर आदेश की अवहेलना कैसे कर सकती है।