अजयारविंद नामदेव, शहडोल। राष्ट्रीय मानव का दर्जा प्राप्त संरक्षित जनजाति की अपनी विशेष पहचान बनाने वाली बैगा आदिवासियों को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। बाबजूद इसके बैगाओ की असमय मौत हो रही है। ताजा मामला शहडोल जिले के गोहपारू ब्लाक में सामने आया है। जहां उप स्वास्थ्य विभाग में ताला जड़ा होने के कारण समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से उल्दी दस्त से दो बैगा महिलाओं की मौत हो गई।

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शहडोल जिले के गोहपारू ब्लॉक के बरदौहा गांव में एक ही परिवार की दो महिलाओं की उल्टी दस्त से मौत हो गई है। 32 वर्षीय उर्मिला बैगा और 9 वर्षीय श्यामबाई बैगा उल्टी दस्त के शिकार हो गईं। उर्मिला की हालत बिगड़ने पर पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन वहां कोई उपस्थिति नहीं थी। फिर गोहपारू अस्पताल लाया गया, जहां गंभीर स्थिति को देखते हुए शहडोल रेफर कर दिया गया। लेकिन वहां पहुंचने के दौरान उर्मिला की मौत हो गई। इसी प्रकार, श्यामबाई भी उल्टी दस्त की चपेट में आई और गोहपारू अस्पताल ले जाई गई, जहां से जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

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दो मौतों के बाद गांव में हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और जांच की, जिसमें 7 नए मरीज उल्टी दस्त से पीड़ित पाए गए। इनका इलाज जारी है। गांव में शुद्ध पेयजल की कमी के कारण उल्टी दस्त का प्रकोप बढ़ गया है। हैंडपंप आधे किलोमीटर दूर और कुआं घर के पास है, जिससे शुद्ध पानी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि दो लोगों की उल्टी दस्त से मौत की जानकारी मिली है। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में घर-घर पहुंचकर लोगों की जांच कर रही है। 7 मरीजों का उपचार किया जा रहा है। मैदानी अमले की लापरवाही के मामले में बीएमओ से रिपोर्ट मांगी गई है और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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उल्लेखनीय है कि हाल ही में शहडोल संभाग के आदिवासी बाहुल्य अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ में भी डायरिया के कारण एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद अब शहडोल में भी बैगा समुदाय की दो महिलाओं की मौत ने शासन और प्रशासन की स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया है।

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