पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. जिले में एक बार फिर डॉक्टरों की मनमर्जी का मामला सामने आया है. देवभोग में आज समाज कल्याण विभाग ने दिव्यांग मेडिकल प्रमाणीकरण शिविर का आयोजन कराया था. तय समय सुबह 11 बजे से जरूरमंद दिव्यांग अपने परिजनों के साथ शिविर स्थल पहुंच गए थे. सुबह से 152 लोगों ने पंजीयन करा लिया था, लेकिन गरियाबंद मेडिकल बोर्ड की टीम के आधे सदस्य दोपहर डेढ़ बजे बाद और अस्थि रोग विशेषज्ञ शाम 4 बजे शिविर स्थल पहुंचे. भारी देरी के बावजूद मेडिकल बोर्ड ने 5.15 बजे तक सभी 152 आवेदकों का परीक्षण का चमत्कार कर दिखाया.

शिविर स्थल पहुंचे एसडीएम तुलसी दास ने कहा, जिनका छूट गया है उन्हें अगली शिविर में मौका दिया जाएगा. लापरवाही मनमर्जी के सवाल पर कहा कि डॉक्टर को अन्य काम भी होता है, जिसके कारण विलंब हुआ होगा. पत्राचार करेंगे.

आधे घंटे में 30 से ज्यादा अस्थि बाधित अभ्यर्थियों का हो गया प्रमाणीकरण

3 साल पहले सड़क हादसे में दिव्यांग हो चुके कपूरचंद कश्यप का पांव और कमर का हिस्सा काम करना बंद कर दिया है. गरीबी पिता जवान बेटे का बोझ झेल रहा. दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण आज भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा. सुबह पूरा परिवार एक ऑटो किराए कर कपूर को शिविर स्थल लेकर पहुंचे थे. आते ही उन्हें इंतजार करना पड़ा. ऑटो में 5 घंटे तक पीड़ित इंतजार करता रहा. कपूर के जैसे अस्थि से जुड़े 30 से ज्यादा आवेदक भी अस्थि रोग विशेषज्ञ का इंतजार करते दिखे.
सवा 4 बजे विशेषज्ञ पहुंचे और महज आधे घंटे में सभी का परीक्षण भी कर दिया.

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