इमरान खान, खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के सरकारी उर्दू स्कूल में काफी समय से उर्दू टीचर की मांग की जा रही है। लेकिन उर्दू टीचर की जगह हिंदी विषय के टीचरों की नियुक्ति होने से छात्राएं और अभिभावक नाराज हैं। उर्दू स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है कि वह बचपन से ही उर्दू मीडियम के माध्यम से विषय सभी विषय पढ़ रही है। अब उनकी स्कूल में जो टीचर की नियुक्ति हुई है वह उन्हें सभी विषय हिंदी में पढ़ते हैं, जिससे उन्हें समझ नहीं आता। क्योंकि वह बचपन से उर्दू में पढ़ती आ रही हैं।

छात्रों की मांग है कि अगर उर्दू विषय में पढ़ने वाला टीचर उन्हें मिल जाए तो उन्हें पढ़ने में आसानी होगी। इसके विरोध स्वरूप आज 100 से ज्यादा छात्राओ ने स्कूल से अपना नाम भी कटवाना चाहा। इसके लिए उन्होंने बाकायदा एक आवेदन दिया, जिसमें उन्होंने अपनी स्कूल टीसी मांग भी की है। ताकि वह अपना एडमिशन दूसरी स्कूल में कर सके। वहीं उर्दू टीचर की मांग करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को इन छात्रों ने एक ज्ञापन भी दिया है। जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने इनकी मांगे जल्द ही पूरी करने का आश्वासन भी इन छात्रों को दिया है।

प्रभारी ने कही ये बातें

शासकीय उर्दू स्कूल के प्रभारी प्राचार्य शेख युनुस का कहना है कि स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की मांग है कि उर्दू में सभी सब्जेक्ट पढ़ने वाले टीचर की नियुक्ति हो। जिससे उन्हें सारे सब्जेक्ट उर्दू में पढ़ने में आसानी हो। विभाग की तरफ से जो टीचर नियुक्त किया गया है, वह हिंदी मीडियम से है। उर्दू मीडियम के सब्जेक्ट में हिंदी मीडियम से पढ़ रहे हैं, जिससे उन्हें पढ़ने में दिक्कत हो रही है। अगर यही सब्जेक्ट उर्दू मीडियम में पढ़ाया जाए तो उन्हें पढ़ने में आसानी होगी। छात्राओं की शिकायत से हमने विभाग को अवगत करा दिया है। स्कूल की कुछ छात्राएं अपनी डीसीबी मांग रही हैं।

पेरेंट्स ने जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

इस पूरे मामले को लेकर छात्राओं के पेरेंट्स भी जिला शिक्षा अधिकारी पीएस सोलंकी के ऑफिस पहुंचे और ज्ञापन सौंपा। जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि खंडवा लोकल में हमारा उर्दू स्कूल है। जहां पर उच्च प्रभार में दो हिंदी मीडियम के टीचर्स आए हैं। क्योंकि उर्दू मीडियम का स्कूल है, इसलिए वहां पर उर्दू माध्यम के टीचर आएंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। इसलिए उन्होंने मुझे ज्ञापन भी सौंपे है। मैं खूद स्कूल जाकर निरीक्षण करूंगा। उसके बाद इसका प्रतिवेदन बनाकर भोपाल उच्च अधिकारियों को प्रेषित किया जाएगा।

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