विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार की डबल इंजन सरकार का स्लोगन स्कूल चले हम का नारा अब लखनऊ में मुस्कुरा रहा है. कारण साफ है, यहां के परिषदीय विद्यालयों की बदहाली. तमाशबीन बनी नौकरशाही का मुजाहिरा लखनऊ के गोलागंज स्थित बाजार झाऊ लाल का ये स्कूल है. जहां पर बरसात के रिसते पानी के बीच नौनिहाल बैठने और शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हो रहे हैं. स्कूल की दीवार को दरारों ने पैबस्त कर रखा है. शासन को इससे कई बार अवगत कराया जा चुका है. लेकिन डबल इंजन सरकार के अधिनस्त कर्मचारी कलम उठाकर मरम्मत का कोष जारी नहीं कर रहे हैं.
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स्कूल की सभी कक्षाओं की छतों से पानी टपक रहा है. आसपास भी पानी का जमाव है. जिससे कि मच्छर और अन्य संक्रामक रोग होने का खतरा बना हुआ है. वहां पर कार्यरत एक शिक्षक ने नाम न बताने के शर्त पर कहा कि स्थानीय ग्राम पंचायत और blo के माध्यम से कई बार शासन के अधिकारियों को स्कूल की दुर्दशा के बारे में बताया जा चुका है. बता दें कि इस स्कूल में बच्चों की निर्धारित संख्या तकरीबन 120 है. इसके मुकाबले यहां शिक्षकों की कमी है.
इंफ्रास्ट्रक्चर है नहीं, और डिजिटल उपस्थिति की उम्मीद में शिक्षक संघ
पिछले दिनों डिजिटल उपस्थिति को लेकर शिक्षक संघ ने हड़ताल का आह्वाहन किया था. जिसमें बुनियादी सुविधाएं दुरुस्त करने के लिए भी मांग की गई थी. लेकिन सरकारी तंत्र तो बस कागज़ों का भंवर ही है. इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कहीं स्कूल में पानी भरा हुआ है, तो कहीं छतों और भवनों की माली हालत जर्जर हो चुकी है. ये तो एक मामला है. बाढ़ग्रस्त या जल प्लवन के संभावित इलाको में जाने पर तो स्कूल तक जाने वाले रास्ते तक नहीं हैं. जबकि सरकार अपने हालिया बजट में शिक्षा के ऊपर भारी भरकम कोष देने की घोषणा कर चुकी है. लेकिन लगता है ये केवल एक घोषणा ही बनकर रह गई है.
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