वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी कालेजों में गेस्ट लेक्चरर के पद पर काम कर रहे प्राध्यापकों के स्थान पर नई नियुक्ति करने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अलावा पूर्व में इसी मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए प्रदेश के अलग-अलग सरकारी कालेजों में पदस्थ करीब 500 गेस्ट लेक्चररों ने अलग-अलग याचिका लगाई है। मामले में सोमवार को जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता गेस्ट लेक्चरर की नियुक्ति को हाईकोर्ट के निर्णय से बाधित रखा है।
बता दें कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालय में पूर्व में पदस्थ अतिथि व्याख्याताओं की ओर से एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद उनके स्थान पर नई नियुक्ति के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने विज्ञापन जारी कर दिया था। इसे लेकर अतिथि व्याख्याताओं ने पूर्व में ही रिट याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाईकाेर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के गाइड लाइन का हवाला दिया, जिसमें संविदा के बदले संविदा या अतिथि व्याख्याता के बदले अतिथि व्याख्याता नहीं रखने के संबंध में आदेश जारी किया गया था। इसके चलते याचिकाकर्ता के पद के विरुद्ध जारी विज्ञापन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। तब से लेकर वर्ष 2023-24 तक अतिथि व्याख्याता अपने पूर्व के महाविद्यालयों में अध्ययन अध्यापन का कार्य करा रहे हैं।
वर्ष 2022-23 में अतिथि व्याख्याता ने अपने पद की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य शासन को अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति के लिए पालिसी बनाने निर्देश दिया था। राज्य शासन ने अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति को लेकर नई पालिसी बनाई, जिसके तहत उनके स्थान पर नई नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। इससे वे गेस्ट लेक्चरर भी प्रभावित हो रहे हैं, जिनको पूर्व के आदेश के तहत हाईकोर्ट से राहत मिली है और कोर्ट के स्टे आर्डर के आधार पर कालेजों में पढ़ा रहे हैं।
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