रिपोर्ट- पं. वैभव बेमेतरिहा बेमेतरा। सहकारिता मंत्री दयालदास बघेल के गृह जिला मुख्यालय बेमेतरा में जिला विपणन सहकारी समिति में लाखों रुपये के भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। मामले का खुलासा खुद समिति की संचालक सदस्य रीता पाण्डेय ने की है। और उन्होंने इस मामले की शिकायत कलेक्टर से कर दी है। कलेक्टर ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं।
मामला जिला विपणन सहकारी समिति बेमेतरा की ओर से बनाए गए काम्पलेक्स के आबंटन में हुए भ्रष्टाचार के साथ समिति के कर्मचारियों के भविष्य निधि के पैसों का गबन और सरकारी वाहनों को बेचने का है। महिला कांग्रेस की शहर अध्यक्ष और समिति की संचालक सदस्य रीता पाण्डेय का आरोप है कि बीते कई सालों से कर्मचारियों के भविष्य निधि के पैसों की कोई जानकारी कर्मचारियों को नहीं दी जा रही है। वहीं सेवानिवृत्त कर्मचारियों के भविष्य निधि का कोई हिसाब उन्हें नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ ही समिति के पुराने 4 सरकारी वाहनों को भी बिना निविदा बुलाए चोरी-छिपे बेच दिया गया है। और इससे भी कहीं बढ़कर समिति की ओर से बनाए सरकारी दुकानों की नीलामी में भी बड़ी गड़बड़ी हुई है।
रीता पाण्डेय ने दस्तावेजों के साथ खुलासा करते हुए यह आरोप लगाया कि समिति की ओर से बनाए गए काम्पलेक्स के नक्शे में बाथरूम, मीटर रूम दर्शाया गया है, लेकिन हकीकत में उन स्थानों में अवैध रूप से दुकान बनाकर उसे भी बेच दिया गया है। आरोप है कि अध्यक्ष राजकुमार तिवारी और मैनेजर संयज सिंह ने समिति संचालक मंडल में बगैर प्रस्ताव लाए और सदस्यों को जानकारी दिए बिना ही काम्पलेक्स की दुकानों को अवैध तरीके से बेच दिया है।
रीता पांडेय का कहना है कि समिति द्वारा कार्यों के लिए वाहन क्रय किया गया था, लेकिन वर्तमान में वह वाहन कहां है इसका भी अता-पता नहीं है। उनका कहना है कि अध्यक्ष सोसायटी नहीं आते हैं और न ही किसी भी चीज की कोई जानकारी संचालक मंडल को देते हैं। इसके साथ ही समिति द्वारा छोटे कर्मचारियों को पिछले 2 साल से वेतन ही नहीं दिया जा रहा है, वहीं समिति के बड़े पद में बैठे लोग हर महीने अपना वेतन ले रहे हैं। शहर कांग्रेस अध्यक्ष रीता पाण्डेय ने सन् 2007-08 से वर्तमान तक ऑडिट कराए जाने की मांग की है।
इधर खुलासे के बाद मंत्री के जिले में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं कलेक्टर ने लिखित में मिले दस्तावेजी शिकायतों के बाद जांच के आदेश दे दिए हैं। हालांकि बीते 10 दिनों में अभी तक जांच के आदेश के बाद मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आरोप ये भी है कि उप पंजीयक कार्यालय में मामले की लीपापोती करने की कोशिश की जा रही है।