हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक दसवीं कक्षा की छात्रा ने अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई है। छात्रा का आरोप है कि उसके पिता जो एक निजी स्कूल में काम करते हैं, उसके शिक्षा के खर्च को उठाने से इनकार कर रहे हैं। उसने बताया कि वह 2014 से अपने माता-पिता के बीच विवाद के बाद से अपनी मां के साथ रह रही है और एक निजी स्कूल में पढ़ाई कर रही है।

छात्रा ने कलेक्टर को बताया कि उसकी स्कूल की कुल फीस 55,000 रुपए है, जिसमें से 44,500 रुपये अभी बकाया हैं। पहले मां जॉब करती थी, लेकिन अब माइग्रेन की समस्या के कारण काम नहीं कर पा रही है। ऐसे में उसकी शिक्षा खतरे में पड़ गई है।

छात्रा का कहना है कि उसके पिता ने दूसरी महिला को मेरी मां को बिना तलाक दिए अपने घर में रखा है और पिता उसके बच्चे की शिक्षा का खर्च उठा रहे हैं। जबकि छात्रा को नजरअंदाज कर रहे हैं। उसका यह भी आरोप है कि जब वह अपने पिता से मिलने स्कूल जाती है, तो उसके पिता उसे मिलने से इनकार कर देते हैं और स्कूल के वॉचमैन के माध्यम से उसे वापस भेज देते हैं। कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उसके पिता से बात की है और उन्हें समझाया है कि वह अपनी बेटी की शिक्षा का खर्च उठाएं।

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इसके साथ ही कलेक्टर ने यह भी आश्वासन दिया है कि अगर पिता उसकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठाते हैं तो जिला प्रशासन हर संभव मदद करेगा। यह मामला समाज के उन बच्चों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रशासन की इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी बच्चे की शिक्षा आर्थिक या पारिवारिक कारणों से बाधित न हो।

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