सत्या राजपूत, सूरजपुर। राज्य में एक ओर जहां शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रयास किये जा रहे है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे है जो अपने स्वार्थ के लिए अपने पद का फायदा उठाकर मनमानी कर रहे है। इसी बानगी तब देखने को मिली जब जिले के बिश्रामपुर में बी+ नैक ग्रेडिंग प्राप्त शासकीय महाविद्यालय सोमवार को बिना किसी लिखित आदेश के बंद रखा गया, जिससे छात्र-छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। छात्रों ने जब महाविद्यालय का रुख किया, तो उन्हें बंद दरवाजों का सामना करना पड़ा और कई छात्र अपने प्रवेश, टीसी और अन्य कार्यों के लिए निराश होकर लौट गए।

अपने टीसी के संबंध में महाविद्यालय पहुंचे पूर्व छात्र अविनाश प्रजापति ने बताया कि उन्हें महाविद्यालय में ताला लटका मिला। इस दौरान उनके साथ अन्य छात्र-छात्राएं भी निराश होकर वापस लौट गए। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय बंद होने के कारण उनकी पढ़ाई और अन्य आवश्यक कार्य प्रभावित हो गए हैं. महाविद्यालय के प्राचार्य डीपी कोरी ने बताया कि टी राजा के कार्यक्रम के चलते माहौल बिगड़ने की संभावना थी, इसलिए जिला प्रशासन के मौखिक आदेश पर महाविद्यालय को बंद किया गया। हालांकि, सूरजपुर कलेक्टर रोहित व्यास ने इस पर स्पष्ट किया कि कॉलेज बंद करने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।

महाविद्यालय के एक प्राध्यापक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि प्राचार्य द्वारा पूर्व सत्र 2023-24 में बिना विभागीय अनुमति के वनस्पति, रसायन, और जंतु विज्ञान में शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, जिससे परीक्षा परिणाम पर प्रतिकूल असर पड़ा है। प्राचार्य पर आरोप है कि वे आईक्यूएसी और नैक मूल्यांकन को छोड़कर अन्य शैक्षणिक मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के अपर संचालक रिज़वान ने भी इस मामले में कहा कि उच्च शिक्षा विभाग से कॉलेज बंद करने के लिए कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। उन्होंने शिकायतों के आधार पर प्राचार्य से इस निर्णय के कारण पूछने का आश्वासन दिया। वहीं आयुक्त उच्च शिक्षा जनक प्रसाद पाठक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि उन्हें आपके माध्यम से जानकारी मिली है और वे इस मामले की जांच करवाएंगे।

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