वाराणसी. बाबा विश्वनाथ के आंगन में मोक्ष की चाह लिए लोगों को अभी कुछ दिन इंतज़ार करना पड़ेगा. हम बात कर रहे हैं मुमुक्षु भवन की. चातुर्मास के दौरान लगातार दूसरी बार मुमुक्षु भवन में वेटिंग चल रही है. 40 बिस्तरों वाला मुमुक्षु भवन चातुर्मास में 17 जुलाई से 12 नवंबर तक फुल हो चुका है. बता दें कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के प्रांगण में ही सरकार ने मुमुक्षु भवन का निर्माण करवाया है. हिन्दू रीति रिवाजों में ऐसी मान्यता है कि काशी में मरने वाला फिर कभी मृत्युलोक में नहीं आता. इसलिए अपने अंतिम दिनों में बुजुर्ग मुमुक्षु भवन रहने के लिए आते हैं.

गंगा के तीर पर बने भवन की शुरुआत 2022 में हुई थी. जबकि अब तक यहां पर 5 लोगों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है. यहां पर 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को रहने के लिए स्थान दिया जाता है. सावन महीने के बाद इस भवन में रहने वालों की स्क्रूटनी की जाएगी और जिनका 3 महीना पूरा हो गया है उनको तारा संस्था राजस्थान भेजा जाएगा.

ऐसी मान्यता है कि काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शरीर के पंचतत्व में विलीन होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि दुनिया के सबसे प्राचीनतम शहर वाराणसी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. कहते हैं सावन का महीना भगवान शंकर का सबसे प्रिय महीना होता है. इस महीने में शिव भक्त हर वो जतन करते हैं कि जिससे उनके सानिध्य में रहने को मिल जाये.