भारतीय किसान यूनियन एकता-उगराहां द्वारा पंजाब की डेढ़ दर्जन से अधिक जन संगठन के संयुक्त निर्णय के अनुसार 15 अगस्त को जब देश भर में सरकारों द्वारा आजादी और लोकतंत्र के खोखले दावों के साथ खुशियाँ मनाई जाएंगी, तब पंजाब के किसान, खेत मजदूर, औद्योगिक और बिजली कामगार, छात्र, और ठेका कामगारों की डेढ़ दर्जन से अधिक संगठनों द्वारा नए आपराधिक कानूनों और अन्य काले कानूनों के साथ-साथ साम्राज्यवादियों द्वारा थोपी जा रही लूट नीतियों के खिलाफ पूरे पंजाब में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जाएगा.

संघ के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां और महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस उद्देश्य के लिए गांव-गांव में लामबंदी अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 1947 की सत्ता-बदली वास्तव में आज़ादी के नाम पर साम्राज्यवाद से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे करोड़ों देशवासियों के साथ किया गया बड़ा धोखा था. क्योंकि उस समय एक तरफ देश की लूट वर्गों और ब्रिटिश सरकार के समर्थकों द्वारा जश्न मनाया गया, और दूसरी तरफ लोगों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़का कर लाखों निर्दोष लोगों की जानें ली गईं, घर-बार उजाड़े गए, और महिलाओं का शोषण खुलेआम किया गया.

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इसी कारण, देशवासी इस साल को एक मौन वर्ष के रूप में याद करते हैं. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त के विरोध प्रदर्शनों के दौरान मोदी सरकार द्वारा जन संघर्षों को कुचलने के नए सरकारी कदमों के खिलाफ सामूहिक आवाज उठाई जाएगी.