विक्रम मिश्र, लखनऊ. कोलकाता में रेजिडेंट डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले को लेकर डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. जिसकी वजह से ओपीडी और आकस्मिक सेवाओं पर भी सीधा असर पड़ रहा है. लखनऊ के बड़े संस्थानों में शुमार पीजीआई और लोहिया अस्पतालों से 6 हजार मरीज बिना इलाज के ही वापस जा रहे हैं.

इस हड़ताल से KGMU से दो हजार मरीज बिना इलाज के वापस लौट गए हैं. वहीं 70 ऑपरेशन टल गए हैं. लोहिया संस्थान की बात करें तो ढाई हजार मरीज ओपीडी से लौट गए. साथ ही करीब 20 ऑपरेशन टल गए हैं. सिविल अस्पताल से 500 मरीज ओपीडी से लौट गए और 10 ऑपरेशन टल गए.

भर्ती मरीजों की हालत खराब

हड़ताल की वजह से लखनऊ के अस्पतालों में भर्ती मरीजों की हालत खराब हो गई है. वार्ड बॉय या नर्सों के भरोसे इलाज चल रहा है. जबकि कभी कभार सीनियर डॉक्टर्स निरीक्षण के लिए आ रहे हैं. मरीजों को दवाई, विगो इत्यादि के लिए परेशान होना पड़ रहा है. प्रतापगढ़ निवासी विनोद पांडेय, जिनके भाई का इलाज सिविल अस्पताल में चल रहा है, वे बताते हैं कि दवा खत्म हो जाने पर डॉक्टर्स नई दवाई भी नहीं लिख रहे हैं. जिससे कि मरीज की हालत में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है. ऐसे में उन्होंने सरकार से इस विषय में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.

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