भारत आज अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. देशभर के सरकारी कार्यालयों, लाल किले और कई अन्य जगहों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर लोग भारत माता और तिरंगे को सलामी देते है. विश्व में भारत की पहचान का एक प्रतीक हमारा तिरंगा है. लेकिन कभी आपने सोचा कि भारतीय तिरंगे को बनाया किसने है? वह कौन है जिसने पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर तिरंगे को डिजाइन किया होगा ? भारत के राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी कई रोचक बातें हैं, जो आपको नहीं पता होगी. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जानिए भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने वाले शख्स के बारे में और इसे मान्यता दिए जाने की वजह.

कब और किसने किया तिरंगे को डिजाइन

बता दें कि तिरंगे का निर्माण करने वाले शख्स का नाम पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) है. साल 1921 में पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) ने भारतीय राष्ट्रिय ध्वज का निर्माण किया था. भारत के लिए बेहतर ध्वज का निर्माण करना इतना आसान नहीं था. साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन करने के बाद पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) ने भारत के तिरंगे को डिजाइन किया था. उस समय के तिरंगे और आज के तिरंगे में थोड़ा फर्क है. तब तिरंगे में लाल, हरा और सफेद रंग हुआ करता था. वहीं चरखे के चिन्ह को इसमें जगह दी गई थी. लेकिन 1931 में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद लाल रंग को हटाकर उसकी जगह केसरिया रंग कर दिया गया. Read More – Anant Ambani और Radhika Merchant की शादी की रस्में हुईं शुरू, मामेरु रस्म में दिखा पूरा परिवार ...

पिंगली वेंकैया कौन थे?

पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे. वो आंध्र के मछलीपत्तनम के पास एक गांव में रहते थे. 19 साल की उम्र में पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) ब्रिटिश आर्मी के सेना नायक बन गए थे. इसके बाद में दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी. इस मुलाकात के बाद उनमें बदलाव आया और वह स्वदेश वापस आ गए. उन्होंने ब्रिटिशों की गुलाबी के खिलाफ आवाज उठाते हुए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) ने 45 साल की उम्र में तिरंगे का निर्माण किया था.

कब तिरंगा बना राष्ट्रीय ध्वज

बता दें कि भारतीय ध्वज के तौर पर तिंरगे को मान्यता मिलने में करीब 45 साल लग गए थे. चरखे के जगह अशोक चक्र को ध्वज में शामिल किया गया. 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को अपना लिया था. उसके बाद से इसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर फहराया जाता है. Read More – Anant Ambani और Radhika Merchant की शादी की रस्में हुईं शुरू, मामेरु रस्म में दिखा पूरा परिवार ...

तिरंगे के रंगों का मतलब

भारत के तिरंगे में मौजूद तीन रंग हैं- केसरिया, सफेद और हरा. तीनों रंगों का अपना विशेष महत्व है. केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है. सफेद रंग शांति और सच्चाई को दर्शाता है. वहीं हरा रंग संपन्नता का प्रतीक है. जब तिरंगा डिजाइन किया गया था, तब लाल और हरे रंग को हिंदू- मुस्लिम का प्रतीक और सफेद रंग को अन्य धर्मों के प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत किया गया था. तिरंगे में सफेद रंग पर नीले रंग में सम्राट अशोक के धर्म चक्र चिन्ह के तौर पर बना है. अशोक चक्र का कर्तव्य का पहिया कहा जाता है, जिसमें शामिल 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं.