लक्षिका साहू, रायपुर। 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एमए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन के कार्यकर्ता राज्य की भाषा छत्तीसगढ़ी को भाषाई पहचान दिलाने के लिए राजधानी के घड़ी चौक स्थित छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा के पास एकत्रित हुए। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ऋतुराज साहू ने इस अवसर पर बताया कि हमें आजादी तो मिल गई और एक अलग राज्य भी, लेकिन हमारी भाषा, जो प्रदेश की पहचान है, उसे अब तक वह सम्मान नहीं मिल पाया है जिसकी वह हकदार है।

ऋतुराज साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ी, जिसे तीन करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं, आज भी न तो स्कूलों में पढ़ाई जाती है और न ही इस भाषा में सरकारी कामकाज होता है। सभी गुणों से संपन्न होने के बावजूद यह भाषा अब तक भारत की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पाई है, जिससे मास्टर डिग्री हासिल करने वाले हजारों छात्र रोजगार विहीन हैं।

छात्र संगठन ने आगे बताया कि जैसे ‘विकसित भारत’ का थीम दिया गया है, हमें भी इसी तर्ज पर ‘विकसित छत्तीसगढ़ी’ चाहिए, ताकि यहां की परंपरा, रीति-रिवाज, संस्कार, संस्कृति, पर्व और लोक विधाओं को संरक्षित रखा जा सके। आज स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर संगठन ने एकजुट होकर छत्तीसगढ़ी भाषा को सम्मान दिलाने की मांग की और सरकार का ध्यान इन महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर आकर्षित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान और राज्यगीत “अरपा पैरी के धार” के साथ की गई, जिसके बाद छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा की आरती उतारी गई। इस अवसर पर संगठन के सदस्य और अन्य छत्तीसगढ़ी डिग्री धारक भी उपस्थित थे।

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