Engineer Muhammad Ali Mirza On Bangladesh violence: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार (Sheikh Hasina) की तख्तापलट के बाद शुरू हुई हिंसा की आग में बांग्लादेश अभी भी जल रहा है। तख्तापलट के 11 दिन होने के बावजूद स्थिति नहीं सुधर रही है। इसी बीच बांग्लादेश में हिंसा का रास्ता अपनाने वालों को पाकिस्तान के मौलाना कड़ी फटकार लगाई है। पाकिस्तान के मुस्लिम धर्म गुरु (Pakistani Muslim Religious Leader) इंजीनियर मोहम्मद अली मिर्जा ने हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त बयान देते हुए पाकिस्तान और भारत के मुसलमानों के लिए रास्ता (Advisory for Indian Muslim) बताया है।
पाकिस्तान के धर्म गुरु इंजीनियर मोहम्मद अली मिर्जा ने कहा है कि इस्लाम में किसी भी हथियारबंद विद्रोह की इजाजत नहीं है। किसी भी सरकार के खिलाफ हथियार उठाना गैर इस्लामी है। इससे देश में अराजकता फैलती है। इसके साथ ही सरकार में काबिज लोगों के पास हथियार है, ऐसे में वो बेगुनाहों की हत्या कर देंगे। लिहाजा, मैं भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वे अपने यहां अपनी सरकारों के खिलाफ किसी तरह की हिंसक गतिविधियों में शामिल न हो।
दरअसल, सऊदी अरब में रह रहे रेहान नाम के एक बांग्लादेशी युवक ने अली मिर्जा से सवाल किया था कि उनके देश में तानाशाह ने कब्जा जमा लिया है। ऐसे तानाशाह के खिलाफ कुरान और हदीस ने क्या पैगाम दिया है। इसके जवाब में उन्होंने हिंसा करने वालों को फटकार लगाते हुए भारत के मुसलमानों के लिए रास्ता (Advisory for Indian Muslims) बताया।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में किसी भी सशस्त्र विद्रोह की इजाजत नहीं है। किसी भी सरकार के खिलाफ हथियार उठाना गैर इस्लामी है। इससे देश में अराजकता फैलती है. इसके अलावा सरकार में मौजूद लोगों के पास हथियार हैं और वे निर्दोष लोगों की हत्या कर देंगे. लिहाजा, मैं भारत और पाकिस्तान के लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वे अपनी सरकारों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसक गतिविधियों में शामिल नहीं हों।
हजरत इमाम का सहारा लेने वालों को मौलाना ने फटकारा
मौलाना ने कहा कि कुछ लोग अपनी सरकार गलत या गैर इस्लामी बताकर विद्रोह करते हैं। अपन विद्रोह को सही ठहराने के लिए हजरत इमाम हुसैन का सहारा लेते हैं, जहां उन्होंने उस वक्त के शासक यज़ीद बिन मुआविया के खिलाफ खुरूज को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया. ऐसे मुसलमानों को फटकारते हुए मौलाना ने कहा कि आज का शासक न यजीद है न आपका नेता इमाम हुसैन हैं. लिहाजा किसी हिंसक गतिविधि को इमान हुसैन के नाम पर सही नहीं ठहराया जा सकता है। मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन के जमाने के लोग पैगंबर मुहम्मद से प्रशिक्षित लोग थे। ऐसे में उनके फैसले को आज के नेताओं के फैसले से तुलना करना सरासर गलत है।
लोकतांत्रिक तरीके से राजनीतिक संघर्ष करने की दी सलाह
उन्होंने हिंसक विद्रोह की जगह अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करने की सलाह दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रश्न पूछने वाले बांग्लादेशी शख्स को बताया कि देखिए, आप लोगों के संघर्ष से चीजें बदल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है. लिहाजा, किसी भी और मामले में भी राजनीतिक संघर्ष करें, ऐसा करने से समस्याओं का हल निकल जाता है। उन्होंने अमेरिका और यूरोप का हवाला देते हुए कहा कि इस वक्त वहां जो अमन, तरक्की और इंसाफ का राज कायम है। वह एक दिन में तो कायम नहीं हुआ है। उसके पीछे वर्षों का संघर्ष है, इसलिए, लोकतांत्रिक रास्ता अपनाना ही सही तरीका है।
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