ममता बनर्जी, जिनकी सादगी और नेतृत्व ने पिछले 23 वर्षों से पश्चिम बंगाल की राजनीति को प्रभावित किया है, अब एक नई चुनौती का सामना कर रही हैं. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी पश्चिम बंगाल की राजनीति के लिए एक टर्निंग पॉइंट बन सकती है.
ममता बनर्जी, जिनकी राजनीतिक काबिलियत और संघर्ष को उनके समर्थक उच्च मानते हैं, ने वाम मोर्चे की 34 साल पुरानी सरकार को हराया और कई महत्वपूर्ण आंदोलन किए. हालांकि, हाल ही में, पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल बनता दिख रहा है. कोलकाता में एक डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले ने ममता बनर्जी को चारों ओर से घेर लिया है. विरोधी पार्टी प्रशासन की लापरवाही का मुद्दा बना रही है, और टीएमसी के ही नेता भी सरकार की आलोचना कर रहे हैं.
इससे पहले भी ममता बनर्जी कई बार आलोचनाओं का सामना कर चुकी हैं, जैसे संदेशखाली और आसनसोल हिंसा के मामलों में. लेकिन इन घटनाओं के बावजूद उनकी राजनीतिक स्थिति पर असर नहीं पड़ा. अब सवाल यह है कि क्या कोलकाता रेप केस के आरोप ममता बनर्जी के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेंगे?
पुलिस की जांच को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. ममता बनर्जी के लिए यह चुनौती कड़ी है, क्योंकि इस घटना की तुलना दिल्ली के निर्भया केस से की जा रही है. पश्चिम बंगाल में पुलिस की कार्रवाई को लेकर आलोचना की जा रही है, और सीबीआई को जांच सौंपने के बाद भी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं. आधी रात को मेडिकल कॉलेज पर हमला हुआ, जिससे कई सवाल उठे हैं कि यह हमला सबूतों को नष्ट करने की कोशिश थी या कुछ और.
टीएमसी नेताओं की चुप्पी भी एक बड़ा मुद्दा बन गई है. 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से यह पहली बार है जब ममता बनर्जी को सार्वजनिक रूप से राज्य पुलिस की कमियों को स्वीकार करना पड़ा है. अस्पताल प्रशासन के लिए कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठ रहे हैं, जैसे कि संदीप घोष का इस्तीफा अस्वीकार करना और उन्हें अन्य कॉलेज का प्रिंसिपल बनाना.
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लोकसभा में टीएमसी के सांसदों की चुप्पी ने भी स्थिति को जटिल बना दिया है. महुआ मोइत्रा जैसी प्रमुख सांसद ने इस मुद्दे पर बहुत कम प्रतिक्रिया दी है, जबकि उन्होंने पहले अन्य मुद्दों पर तेजी से प्रतिक्रिया दी थी.
बीजेपी ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश नहीं की. ममता बनर्जी ने विरोध मार्च और प्रदर्शन की योजनाएं बनाई हैं, लेकिन बीजेपी का दबाव बढ़ता जा रहा है.
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