Mehandipur Balaji Temple: भारतवर्ष में कई ऐसे मंदिर हैं जहां की मान्यता है कि वहां दर्शन मात्र से ही इच्छाएं पूरी हो जाती है। जहां हमें आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। मगर कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां प्रवेश करते ही भूतों का एहसास होता है।

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के दौसा स्थित मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर की। इस मंदिर की मान्याताएं, नियम काफी कठिन हैं, लेकिन फिर भी लोग यहां आते हैं और तमाम रहस्यों के बावजूद इसे पूजते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर भूतिया है और यहां के दृश्य देखकर लोगों की चींख निकल जाती है।

यह मंदिर भारत में इतना लोकप्रिय है कि यहां हर साल दूर-दूर से करोड़ों तीर्थ यात्री अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि भगवान अपने भक्तों को बुरी आत्माओं और परेशानियों से मुक्ति दिलाते हैं। मंदिर में आने वाले भक्त बालाजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाते हैं और भैरव बाबा को उड़द की दाल व चावल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि भगवान बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने में मदद करते हैं। मंदिर में शनिवार और मंगलवार को भीड़ ज्यादा होती है।

मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर में तीन भगवानों की पूजा की जाती है। मुख्य रूप से हनुमान जी की पूजा होती है और इसके अलावा यहां प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा को भी पूजा जाता है। मंदिर के इन तीनों देवताओं को भूतों, प्रेतों और आत्माओं से संबंधित माना जाता है।

भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में एक दिव्य शक्ति है जो बुरी आत्माओं के चंगुल में फंसे लोगों को ठीक करने की ताकत रखती है। अगर आप लौकिक शक्तियों या भूतों पर विश्वास नहीं करते तो इस मंदिर में आने के बाद आप इन सभी चीजों पर विश्वास करने लगेंगे।

इस मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में स्थित भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्वयंभू है। दंतकथा के अनुसार एक दिन हनुमान जी बालाजी और प्रेतराज सरकार तीनों महंत जी के सपने में आए और उन्होंने उनसे से अपनी सेवा-पूजा करने को कहा। जिसके बाद उन्होंने यहां भगवान हनुमान की पूजा करनी शुरू कर दी और भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया।

जहां एक तरफ किसी भी मंदिर में हमे घंटियों ओर मंत्रों की आवाजें सुनाई देती है, वहीं मेहंदीपुर बालाजी मंदिर परिसर में कदम रखते ही आपको महिलाओं और पुरुषों के तेज चीखें सुनाई देती हैं। यहां कोई प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। मान्यता के अनुसार इनसे प्रसाद तो नहीं, लेकिन काले रंग की गेंद लेना जरुरी है क्योंकि इसे हनुमान जी को अर्पण करने से सभी दुख ओर परेशानियां दूर हो जाती है। मान्यता है कि इस काले रंग की गेंद को अपने शरीर के चारों और घुमा कर आग में फेकने से संकटमोचन हनुमान जी सभी परेशानियों को हर लेते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में कुल चार कक्ष हैं जिसमें से पहले दो कक्ष में हनुमान जी और भैरव जी की मूर्तियां हैं, लेकिन अंतिम दो हॉल में कई पुरुषों और महिलाओं को अपना सिर पीटते देखा जा सकता है। कई लोहे की चेन और जंजीरों से भी बंधे नजर आते हैं। जिसे देख आपकी रूह कांप सकती है।

ध्यान रखने वाली बातें

  • मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से वापस जाते समय कोई भी प्रसाद, पानी या खाद्य पदार्थ आदि अपने साथ वापस ले जाना अशुभ माना जाता है।
  • मंदिर में किसी भी अनजान से बात करने और छूने से बचने की सलाह भी दी जाती है।
  • जब आप मंदिर से जाते हैं तो कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखें ऐसा करना किसी बुरी आत्मा को निमंत्रण देने जैसा हो सकता है।

कैसे जाएं मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जयपुर के पास दौसा जिले में स्थित है, यह मंदिर मेहंदीपुर गांव में स्थित है। यह जयपुर शहर से करीब 99 किमी दूर है। आप सड़क, हवाई और रेल मार्ग द्वारा यात्रा कर सकते हैं। मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जयपुर हवाई अड्डा है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन 50 किलोमीटर की दूर स्थित दौसा रेलवे स्टेशन है। साथ ही यहां पहुंचने के लिए सबसे निकटतम बस अड्डा भी 49 किलोमीटर दूर दौसा बस स्टैंड है।

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