मानसून में प्लास्टिक की चप्पल-जूतों का बाजार हर तरफ सजा हुआ मिलता है। ब्रांडेड, नॉन ब्रांडेड दोनों में ही प्लास्टिक के चप्पल-जूते किफायती दामों में बिक रहे हैं। चूंकि कपड़े के जूते-चप्पल बारिश में गीले हो जाते हैं। दोबारा इन्हें पहना नहीं जाता, इसलिए लोग प्लास्टिक को प्रिफर कर रहे हैं। मगर जिस तरह से प्लास्टिक को घातक बताया जाता है चाहे प्लास्टिक को बोतल हो, डब्बे हो या फिर प्लास्टिक के डिस्पोजल। ये सभी स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक होते हैं उसी तरह प्लास्टिक के चप्पल-जुते भी हमारे स्वास्थ्य, बल्कि पर्यावरण के लिए घातक हैं। आइए जानते हैं कैसे।

स्किन डिसीज बढ़ाए

प्लास्टिक की चप्पल स्किन के लिए नुकसानदायक है। लंबे समय तक पहने रहने से एलर्जी, रैश और लाल चकते होने शुरू हो जाते हैं। इन चप्पलों को बनाने, इन पर रंग चढ़ाने के लिए विशेष प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल होता है। जैसे ही यह हमारे शरीर के संपर्क में आते हैं, तो यह केमिकल रिएक्ट करने लगता है। अगर, हम नियमित इन्हें पहनते हैं तो एलर्जी बढ़ते हुए, पैरों में फफोले और घाव का रूप ले सकती है। ऐसा हो तो तत्काल डर्मोटोलॉजिस्ट को दिखाएं।

प्लास्टिक की चप्पले ज्यादा कंफोर्टेबल नहीं होतीं

प्लास्टिक की चप्पलों में कंफोर्टेबल नहीं होती हैं। इनके कारण पैरों में दर्द होना शुरू हो जाता है। लंबे समय तक पहने रहने से, थकान महसूस होती है। इन सभी कारणों के कारण हमने प्लास्टिक की चप्पलों को पहनने से बचना चाहिए। जैसे हम प्लास्टिक के बैग, पॉलीथिन को न कहते हैं, वैसे ही प्लास्टिक के चप्पल-जूते को भी न कहना चाहिए। बाजार में कई आरामदायक जूते-चप्पल हैं इन्हें खरीदें।

पैरों से आती है बदबू

ज्यादा देर तक प्लास्टिक के चप्पल-जूते पहनने पर पैरों में बदबू की समस्या भी हो सकती है। प्लास्टिक में किसी भी तरह से हवा नहीं जाती जिस वजह से पसीना सूख नहीं पाता और पैरों से बदबू आने लगती है।

छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक