सालों से लोग गांव छोड़कर नौकरी की तलाश में शहर का रूख कर रहे हैं। माता-पिता गांव में बसे रहते हैं, और बच्चे शहर में घर बसा लेते हैं। गांव का संयुक्त परिवार, शहर में एकल परिवार बन जाते हैं। ऐसे में माता-पिता यानी पेरेंट्स ही बच्चों को बड़ा करते हैं। पेरेंट्स अपनी नौकरी के साथ बच्चों की पूरी परवरिश करते हैं। रोज नई चीजें सिखाते हैं। जैसे- समय पर उठना, ब्रश करना, स्कूल के लिए तैयार होना, पढ़ना-लिखना, खेलना, बड़ों की इज्जत करना, समय पर खाना खाना और सोना। इंडिपेंडेंट होने से बच्चों का कान्फिडेंस लेवल बढ़ता है। मानसिक विकास भी ठीक होता है, लेकिन कई बार समय के अभाव, शहर की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंडिपेंडेंट बनाने में पेरेंट्स को परेशानियों से भी दो-चार होना पड़ता है।
आज हम ऐसे पेरेंट्स के लिए बच्चों को इंडिपेंडेंट बनाने के कुछ टिप्स लेकर आए हैं। यह आपके लिए काफी हेल्पफुल होंगे।
बच्चों को समझें
इंडिपेंडेंट बनाने के लिए सबसे पहला टिप्स है, आप सबसे पहले अपने बच्चों को समझें। इन्हें यह महसूस करवाएं कि वे जो कर रहे हैं, तुम्हारे लिए कर रहे हैं। उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। साथ खेलें, साथ खाएं, मस्ती करें। ताकि आप उन्हें, वे आपको समझ सकें।
ईजी टास्क दें, मगर मदद न करें
बहुत से पेरेंट्स बच्चों को काफी आसान टास्क देते हैं। फिर उनकी हेल्प भी करते हैं। मगर, ऐसे में बच्चा इंडिपेंडेंट बनने के बजाए आप पर डेपेंड हो जाएगा। आप उन्हें छोटे काम दें। जैसे- टॉयज को टोकरी में खुद भरना, खाने के बाद अपने बर्तन सिंक में डालना, स्कूल बैग को खुद से कैरी करना, पानी निकालना, पीना। खुद से कपड़े पहनना। बटन लगाना। ऐसे काम, जिसे वे स्वयं से कर सकते हैं, इन्हें करने दें।
परफेक्शन जरूरी नहीं
5 साल तक का बच्चा परफेक्शन से सब कर लेगा, यह सोच गलत है। बच्चे के काम को एप्रिसिएट करें। उसे सही रास्ता दिखाएं। उसे समझाएं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है…। खुद से सही करने की कोशिश करने दें। बच्चों को खुद से फैसला लेने में मदद करें। इससे कांफिडेंट बढ़ता है। इससे आपका और आपके बच्चे के बीच बांड मजबूत होगा।
स्पेस दें, यानी उन्हें खुद के लिए भी समय दें
बहुत से पेरेंट्स बच्चों को स्पेस नहीं देते, यही कारण है बच्चे चिड़चिड़ाने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को स्पेस दें। आप उनके साथ रहें, मगर उन्हें खुद से डिसीजन लेने दें। साथ ही बच्चों को कोई टॉस्क दें तो उसके लिए उन्हें पर्याप्त समय दें। उन्हें कच्ची उम्र में समय का पाबंद न बनाएं। समय की पाबंदी समय के साथ वे स्वयं से सीख जाएंगे।