विक्रम मिश्र, लखनऊ. आजमगढ़ और उन्नाव से बुरी खबर सामने आई है. जहां पर डिप्थीरिया नामक बीमारी से अब तक 9 माताओं की कोख सूनी हो गई है. शुरुआती लक्षण के मुताबिक बच्चों के गले दर्द और निगलने में दिक्कत की सूचना मिली थी जिसके बाद से उन्हें अलग अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया. डिप्थीरिया या गलघोंटू नामक इस बीमारी से बचाव को लेकर आजमगढ़ और उन्नाव के डॉक्टर्स और WHO की टीम ने बचाव के लिए दिशा-निर्देश जारी किए है.

डिप्थीरिया या गलघोंटू के लक्षण
सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश के मुताबिक, आमतौर पर बैक्टीरिया के आपके शरीर में प्रवेश करने के एक से सात दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें बुखार और ठंड लगना, गले में खराश, स्वर बैठना, निगलने में दर्द, लार टपकना, त्वचा का रंग नीला पड़ना, नाक से खूनी, पानी जैसा रिसाव, सांस लेने में समस्या, तेज सांस लेना, ऊंची आवाज में सांस लेना शामिल है. त्वचा पर घाव भी हो सकते हैं.


डिप्थीरिया या गलघोंटू से बचाव

सीएमओ के मुताबिक, मरीज को देखने के बाद डॉक्टर को पता चल जाता है कि वह इस बीमारी से पीड़ित है या नहीं. डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन को मांसपेशियों में या अंतःशिरा लाइन के माध्यम से इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है. फिर संक्रमण का इलाज पेनिसिलिन और एरिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स से किया जाता है. एंटीटॉक्सिन लेते समय आपको अस्पताल में रहना पड़ सकता है.