अमित पवार, बैतूल। देश की सीमाओं पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के लिए इस बार बैतूल से कुछ खास राखियां भेजी जा रही हैं। जिसे दिव्यांग बच्चों ने बनाई है। 27 दिव्यांग बच्चों ने मिलकर 700 से ज्यादा राखियां तैयार की है। इन राखियों को सरहद तक राष्ट्र रक्षा मिशन की बहनें ले जा रही हैं। जो पिछले 24 सालों से लगातार देश की अलग-अलग सरहदों पर जाकर फौजी भाइयों की कलाई पर राखी बांध रही हैं। अब तक ये बहनें ढाई लाख से ज्यादा फौजियों को राखी बांध चुकी हैं और इस बार 25 हजार राखियां लेकर बाड़मेर के लिए रवाना हुई हैं।

बैतूल के अस्थिबाधित छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले नन्हे बच्चे पूरी तन्मयता के साथ राखियां बना रहे हैं। जिनमें से किसी को चलने में दिक्कत है तो किसी के हाथों में अंगुलियां नहीं हैं या किसी अन्य शारीरिक कमजोरी से पीड़ित हैं। लेकिन सारी बाधाओं के बावजूद इन बच्चों का जज्बा देखिए जो देश की सरहदों पर तैनात सैनिक भाइयों के लिए प्यार का बंधन बना रहे हैं इस छात्रावास के 27 बच्चों ने केवल दो दिनों में 700 से ज्यादा राखियां तैयार की हैं।

राष्ट्रीय युवा पुरुस्कार से सम्मानित बैतूल की गौरी बालापुरे पिछले 24 सालों से लगातार देश की 24 सीमाओं पर जाकर सैनिकों को राखी बांध रही हैं। इनकी टीम राष्ट्र रक्षा मिशन में शहर की कई महिलाएं शामिल हैं। ये अब मिलकर 24 साल में लगभग ढाई लाख सैनिकों को राखी बांध चुके हैं। इस साल राष्ट्र रक्षा मिशन राजस्थान की बाड़मेर सीमा पर रहेगा और वहां बीएसएफ जवानों के साथ राखी का पर्व मनाएगा। इस साल दिव्यांग बच्चों की बनाई हुई राखियां भी सैनिकों की कलाइयों पर सजेंगी ।

जो सैनिक हर पल देश की रक्षा के लिए तैनात हैं उनके लिए राखी बनाकर बैतूल के दिव्यांग बच्चे बेहद खुश हैं। अपनी सारी तकलीफों को भूलकर इन बच्चों ने राखियां बनाकर भेजी हैं। भाई-बहन के इस पवित्र बंधन की कई रोचक कहानियां हम पढ़ते और सुनते हैं, लेकिन बैतूल की इन बहनों का जज्बा और सैनिकों के लिए दिव्यांग बच्चों की ये भावना एक मिसाल है। ये राखियां हमारे सैनिकों को ये भरोसा दिलाती रहेंगी कि सीमाओं पर वो अकेले नहीं हैं, बल्कि देश का हर नागरिक हर बच्चा उनके साथ है चाहे वो किसी भी समस्या से जूझ रहा हो।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m