जलियांवाला बाग एक्सप्रेस की पेंट्री कार में जालंधर से बिहार शराब की खेप भेजने के मामले में अमृतसर के एक सीएमआई सहित शीर्ष पुलिस अधिकारी के नाम की चर्चा होने से खुफिया एजेंसियां हरकत में आ गई हैं। एजेंसियां पता लगा रही हैं कि ट्रेनों में पंजाब से बिहार शराब भेजने का गोरखधंधा कब से चल रहा है और इसमें कौन-कौन से रेलवे अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।

टिकट चेकरों का दावा है कि ट्रेन में चेकिंग के लिए जीआरपी बिहार की एस्कार्ट पार्टी ने पेंट्री कार से शराब की पेटियां पकड़ने के बाद धनबाद स्टेशन पर ट्रैप लगाकर दो आरोपियों को पकड़ा था। पकड़े गए दोनों आरोपी सरकारी कर्मचारी थे। इन आरोपियों ने बिहार के किसी शीर्ष पुलिस अधिकारी का नाम लिया था, जिसके बाद जीआरपी ने आरोपियों को शराब की पेटियों सहित कुमारदुबी स्टेशन पर उतारकर मामले से अपना पीछा छुड़ा लिया था।

टिकट चेकरों के मुताबिक वह चार अगस्त को जलियांवाला बाग एक्सप्रेस (12380) को अमृतसर से सियालदाह जा रही थी। जालंधर सिटी स्टेशन पर किसी ने एक सीएमआई का नाम लेते हुए सेब की दो पेटियां बोलकर ट्रेन की पेंट्री में रखवाई थी। उसने खुद को अमृतसर का टिकट चेकर बताते हुए पेटियों को धनबाद स्टेशन पर उतारने की बात कही थी। उसने कहा था कि सीएमआई का कोई परिचित धनबाद स्टेशन पर पेटियां उतारकर ले जाएगा।

पांच अगस्त की सुबह बिहार की सीमा में दाखिल होते ही पंडित दीन दयाल उपाध्याय व गया जंक्शन के बीच जीआरपी बिहार की एस्कार्ट पार्टी ने ट्रेन को चेक किया तो पेंट्री कार से 2 पेटी शराब बरामद हुई। जीआरपी की पूछताछ में पेंट्री स्टाफ ने बताया कि ट्रेन के चीफ इंस्पेक्टर टिकट (सीआईटी) ने कोच में पेटियां रखने की इजाजत दी थी, जबकि वह पेटियों में शराब रखे होने की बात से पूरी तरह से अनजान थे।

टिकट चेकरों के मुताबिक धनबाद स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही चार युवक पेटियां उतारने के लिए ट्रेन में चढ़े थे। जीआरपी ने दो युवकों को पकड़कर ट्रेन में बैठा लिया था, लेकिन पूछताछ में सच सामने आते ही आरोपियों को अगले स्टेशन पर जाकर छोड़ दिया गया। उक्त आरोपी बिहार कारपोरेशन के कर्मचारी थे और बिहार में तैनात किसी शीर्ष पुलिस अधिकारी के कहने पर शराब की पेटियां उतारने आए थे। इस बात का पता चलते ही जीआरपी ने आरोपियों को शराब की पेटियों सहित बिना किसी कार्रवाई के कुमारदुबी स्टेशन के पास ट्रेन से उतारकर मामले को दबा दिया था।